हरेक के लिए सहज हो हैल्थ सेवा
हाल के वर्षों में भारत का स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र निजी इक्विटी (पीई) फर्मों के लिए एक आकर्षक निवेश क्षेत्र बन गया है। 2022-24 के बीच भारतीय अस्पतालों में कुल 6.74 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया, जिसमें पीई निवेशकों ने 4.96 बिलियन डॉलर का निवेश शामिल था। इस निवेश के द्वारा स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देने और ग्रामीण व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का उद्देश्य होना था। हालांकि, पीई फर्मों द्वारा, भारत की विशाल आबादी और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, अस्पतालों के अधिग्रहण में उनके सामान्य पूंजी निवेश और समयबद्ध लाभ कमाने के उद्देश्य के अतिरिक्त सामाजिक उद्देश्यों और सार्वजनिक सेवा को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
स्वास्थ्य सेवा केवल एक व्यवसाय नहीं है, यह एक ऐसी सेवा है जो समाज के हर वर्ग के लिए सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए। ऐतिहासिक दृष्टि से भारत के अधिकांश अस्पताल सामाजिक सेवा में जुटे हुए संस्थानों, ट्रस्टों और कई प्रसिद्ध और सफल डॉक्टरों द्वारा समाज में सेवा भाव से स्थापित किए गये थे, लेकिन भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र बढ़ती हुई आबादी और नई बीमारियों से संबंधित पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे कि शहरी-ग्रामीण असमानतायें जहां 60% अस्पताल बिस्तर महानगरों में केंद्रित हैं, जबकि 70% आबादी गैर-महानगरीय क्षेत्रों में रहती है। इसके अलावा मेडिकल टेस्ट, इलाज और दवाईयों के बढ़ते हुए निजी खर्च और अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे ने कई लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंच से बाहर कर दिया है। ऐसे में पीई फर्मों का निवेश इन कमियों को दूर करने का एक अवसर हो सकता है, बशर्ते यह लाभ के साथ-साथ सामाजिक उद्देश्यों को भी प्राथमिकता दे।
पीई फर्मों का निवेश और व्यवसाय मॉडल सामान्यतः आमतौर पर तीन से सात साल की अवधि में अधिकतम रिटर्न प्राप्त करने पर केंद्रित होता है। यह मॉडल आम निवेश के लिए तो ठीक है लेकिन अस्पतालों के लिए जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि यह लागत में कटौती, अनावश्यक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने और उच्च लाभ वाली विशेषज्ञताओं जैसे (जैसे ऑन्कोलॉजी और कार्डियोलॉजी) पर ध्यान केंद्रित करने का दबाव डाल सकता है और मरीजों की स्थिति को अनदेखा कर सकता है। अमेरिका में पीई के स्वामित्व वाले अस्पतालों से संबंधित एक स्टडी में देखा गया है कि प्राथमिक देखभाल जैसी आवश्यक सेवाओं की उपेक्षा की गई, जिसके परिणामस्वरूप गुणवत्ता में कमी और लागत में वृद्धि हुई। देखा गया है कि भारत में कुछ पूंजी निवेश जो स्वास्थ्य क्षेत्र के तजुर्बेकार निवेशकों जैसे आईएचएच (IHH) द्वारा फोर्टिस में किया गया था, उनमें इन बातों का ध्यान रखा गया था। पूंजी निवेश के समय निवेशक की बेकग्राउण्ड और पिछले तजुर्बे का ध्यान रखना भी आवश्यक है।
1. सुलभ और किफायती स्वास्थ्य सेवाः पीई निवेश का उपयोग ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अस्पतालों और क्लीनिकों का विस्तार करने के लिए किया जाना चाहिए। इस निवेश में, आम आदमी को ध्यान में रखते हुए, यह आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं के साथ तालमेल बिठाकर सस्ती स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने पर भी जोर देना चाहिए, जो देश के अधिकांश लोगों को कवर करती है।
2. गुणवत्ता और पारदर्शिताः पीई फर्मों को राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड फॉर हास्पिटल्स (NABH) जैसे मानकों का पालन करने और इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकार्ड सिस्टम को लागू करने में निवेश करने पर ध्यान देना चाहिए। इससे रोगी देखभाल में सुधार होगा और महामारी जैसी स्थितियों में स्वास्थ्य चुनौतियों की पहचान आसान होगी।
3. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): पीई फर्मों को सरकारी योजनाओं के साथ सहयोग करना चाहिए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को समाज के कमजोर वर्गों तक पहुंचाया जा सके। 2016 में, निजी अस्पतालों ने 60% इनपेशेंट और 80% आउटपेशेंट देखभाल प्रदान की थी, पीई फर्मों के निवेश के बाद इस अनुपात को ध्यान में रखना चाहिए।
पीई फर्मों को अल्पकालिक लाभ के बजाय दीर्घकालिक और टिकाऊ विकास पर ध्यान देना चाहिए। उदाहरण के लिए, नारायण हैल्थ जैसे अस्पताल, जो सामाजिक मिशन और लाभको संतुलित करते हैं, ने दिखाया है कि गुणवत्तापूर्ण देखभाल और विस्तार दोनों संभव हैं। इसके विपरीत, केवल लाभ-केंद्रित मॉडल, या केवल बीमा से कवर होने वाले मामलों को ध्यान में रखने से, अन्य रोगियों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ सकता है और रोगियों और उनके परिवारों को निराशा का सामना करना पड़ सकता है।
विश्व की सबसे बड़ी 146 करोड़ की आबादी के अतिरिक्त, अफ्रीका, लेटिन अमेरिका आदि के लिए भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है और उनमें पीई निवेश एक सुनहरा अवसर है, जो बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करने और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है। उनमें यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि ये निवेश केवल समयबद्ध लाभ के लिए न हों। सामाजिक उद्देश्यों और सार्वजनिक सेवा को केन्द्र में रखकर, पीई फर्में न केवल अपने निवेशकों के लिए रिटर्न सुनिश्चित कर सकती हैं, बल्कि भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को अधिक समावेशी, सुलभ और टिकाऊ भी बना सकती हैं। इसके लिए मजबूत नियामक ढांचे पारदर्शिता और सरकार के साथ सहयोग आवश्यक है, ताकि स्वास्थ्य सेवा वास्तव में एक सेवा बनी रहे, न कि केवल एक व्यवसाय।