भगवान राम पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ वाराणसी कोर्ट में सुनवाई, 27 मई को आएगा फैसला
राहुल गांधी की टिप्पणी पर कानूनी पेंच, फैसले की राह देखेगी जनता
राहुल गांधी द्वारा भगवान श्रीराम पर की गई टिप्पणी के मामले में वाराणसी कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता एडवोकेट हरीशंकर पांडेय ने याचिका की स्वीकार्यता पर बहस की और जज ने आदेश सुरक्षित रखा। कोर्ट 27 मई को फैसला सुनाएगी। याचिका में आरोप है कि राहुल ने भगवान राम को ‘पौराणिक’ और उनके युग की कहानियों को ‘काल्पनिक’ बताया था।
राहुल गांधी के खिलाफ वाराणसी कोर्ट में भगवान श्रीराम पर कथित विवादित टिप्पणी के मामले में सोमवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता एडवोकेट हरीशंकर पांडेय की ओर से मेंटिबिलिटी (याचिका की स्वीकार्यता) पर बहस की गई और धारा 223 BNSS के तहत तर्क रखे गए। जज ने बहस के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया है और अब कोर्ट 27 मई को अपना फैसला सुनाएगी। याचिका में आरोप है कि राहुल गांधी ने अमेरिका के बोस्टन में ब्राउन यूनिवर्सिटी के एक सेशन में भगवान राम को “पौराणिक” और उनके युग की कहानियों को “काल्पनिक” बताया था। पांडेय ने राहुल को ‘राम द्रोही’ बताते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। इसी बीच, लखनऊ हाईकोर्ट में भी राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की याचिका दायर की गई है, जिसमें पासपोर्ट अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
वाराणसी कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला 27 मई को
एडवोकेट हरीशंकर पांडेय ने कोर्ट में याचिका की वैधता पर दलीलें दीं और कई कानूनी नजीर पेश किए। कोर्ट ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रखा है। राहुल गांधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में दिए एक बयान में भगवान राम को ‘पौराणिक’ कहा और उनके युग की कहानियों को ‘काल्पनिक’ बताया, जिस पर विवाद खड़ा हो गया।
याचिकाकर्ता का आरोप
एडवोकेट पांडेय का आरोप है कि राहुल ने देश की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और उन्हें भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने की कीमत चुकानी चाहिए। कर्नाटक भाजपा के एस. विग्नेश शिशिर ने 11 दिन पहले राहुल की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी।
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विदेशी नागरिकता का आरोप और पासपोर्ट एक्ट का हवाला
याचिका में दावा किया गया कि राहुल ने विदेशी दस्तावेज और नागरिकता के जरिए भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है। पासपोर्ट एक्ट की धारा 12 के तहत मामला दर्ज करने की मांग भी की गई है। गृह मंत्रालय को तीन देशों से रिपोर्ट मिली है और संबंधित सबूतों की समीक्षा जारी है। अंतिम निर्णय जल्द लिया जा सकता है। इन दोनों मामलों पर अब तक कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।