यौन उत्पीड़न मामले में मुरुगा मठ के महंत की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई शुक्रवार तक टली
चित्रदुर्ग की एक स्थानीय अदालत ने मुरुगा मठ द्वारा संचालित एक उच्च विद्यालय की लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में मठ के प्रमुख महंत शिवमूर्ति मुरुगा शरणारु की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी है।
10:41 PM Sep 01, 2022 IST | Shera Rajput
चित्रदुर्ग की एक स्थानीय अदालत ने मुरुगा मठ द्वारा संचालित एक उच्च विद्यालय की लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में मठ के प्रमुख महंत शिवमूर्ति मुरुगा शरणारु की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी है। इस बीच अधिवक्ताओं के एक समूह ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की निगरानी में मामले की जांच कराये जाने की मांग की है।
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महंत के खिलाफ बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मुकदमा दायर किया गया है।
चुनावी राज्य में राजनीतिक दल शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू के खिलाफ आरोपों पर फूंक-फूंककर कदम उठा रहे हैं, इस बीच स्थानीय अदालत ने बृहस्पतिवार को प्रभावशाली लिंगायत मठ के प्रमुख महंत की जमानत याचिका की सुनवाई स्थगित करने का आदेश जारी किया।
अधिवक्ताओं के एक समूह ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर दावा किया है कि नाबालिग लड़कियों के कथित यौन शोषण मामले में चित्रदुर्ग स्थित मुरुगा मठ के शिवमूर्ति मुरुगा स्वामी के खिलाफ जांच ‘‘निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से नहीं की जा रही है।’’
अधिवक्ता सिद्धार्थ भूपति, श्रीराम टी नायक, गणेश प्रसाद बी एस, गणेश वी और पोन्नाना केए ने कहा, ‘‘यहां आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते जांच अधिकारी द्वारा तलब नहीं किया जा रहा है, गिरफ्तार होने की तो बात ही छोड़ दें।’’
पत्र में आरोप लगाया गया कि चित्रदुर्ग के विधायक थिप्पारेड्डी नियमित रूप से महंत के पास जाते रहे हैं और आरोपी को ‘समर्थन’ दे रहे हैं। इसमें कहा गया कि गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र प्रेस बयान जारी कर कह रहे हैं कि मठ का एक कर्मचारी स्वामीजी के खिलाफ साजिश कर रहा है।
मठ के प्रशासनिक अधिकारी एस. के. बसवराजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह महंत शिवमूर्ति मुरुगा शरणारु के खिलाफ किसी साजिश में शामिल नहीं हैं और उन्होंने बच्चों की रक्षा करने की कोशिश कर अपना कर्तव्य निभाया है।
मठ के अधिकारियों ने पूर्व विधायक बसवराजन और उनकी पत्नी पर महंत के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया था। बसवराजन ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि आने वाले दिनों में सभी को सब कुछ पता चल जाएगा और अगर बच्चे सही हैं, तो उन्हें न्याय मिलेगा।
इस बीच बसवराजन और उनकी पत्नी को यहां की एक अदालत ने यौन उत्पीड़न और अपहरण के एक मामले में जमानत दे दी। उनके खिलाफ यह शिकायत एक महिला ने दर्ज कराई थी और कहा जाता है कि शिकायतकर्ता मठ की एक कर्मचारी है।
बसवराजन ने कहा कि उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ मामला ‘पूरी तरह से गलत’ और महंत तथा चार अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर जवाबी आरोप है।
महंत ने सोमवार को अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दायर की थी, लेकिन उनके खिलाफ मंगलवार को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अतिरिक्त आरोप भी जोड़े गये, क्योंकि दो पीड़ितों में से एक अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय की है।
द्वितीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत ने पहले पॉक्सो अधिनियम के तहत जमानत याचिका पर आपत्तियों को लेकर बाल संरक्षण इकाई को नोटिस जारी किया था।
अब एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अतिरिक्त आरोप शामिल किये जाने की पृष्ठभूमि में जमानत याचिका पर अब पुलिस (अभियोजन) की आपत्तियां भी जरूरी हो गयी हैं। पुलिस ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए कल का समय मांगा है। इसके बाद ही अदालत अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी।
चित्रदुर्ग पुलिस ने इस सप्ताह के आरम्भ में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए दो पीड़िताओं को पेश किया था।
इस मामले में महंत के अलावा पांच और व्यक्ति आरोपी हैं, जिनमें मठ के छात्रावास का एक वार्डन भी शामिल है।
ऐसा आरोप है कि मठ द्वारा संचालित स्कूल में पढने और छात्रावास में रहने वाली 15 और 16 वर्ष की दो लड़कियों का यौन-उत्पीड़न जनवरी 2019 से लेकर जून 2022 तक किया गया था।
महंत के खिलाफ पॉक्सो एवं एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के अलावा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
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