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घर के सुन्दर सपनों को साकार करने में मदद करो

देश में हर आम आदमी जो नौकरी पेशे वाला है या छोटे धंधे वाला है वह एक घर का सपना देखता है। चार दिवारों और एक छत को महज मकान कहा जाता है जब लोग वहां रहने लगते हैं तो परिवार के लोग मिलजुलकर एक घर बनाते हैं।

12:48 AM Aug 28, 2022 IST | Kiran Chopra

देश में हर आम आदमी जो नौकरी पेशे वाला है या छोटे धंधे वाला है वह एक घर का सपना देखता है। चार दिवारों और एक छत को महज मकान कहा जाता है जब लोग वहां रहने लगते हैं तो परिवार के लोग मिलजुलकर एक घर बनाते हैं।

देश में हर आम आदमी जो नौकरी पेशे वाला है या छोटे धंधे वाला है वह एक घर का सपना देखता है। चार दिवारों और एक छत को महज मकान कहा जाता है जब लोग वहां रहने लगते हैं तो परिवार के लोग मिलजुलकर एक घर बनाते हैं। अनेक घरों के लोग एक सोसाइटी में सद्भावना पूर्ण नियम बनाते हैं और रहने लगते हैं लेकिन नामी गिरामी कंपनियों ने किस प्रकार लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया और लूटपाट मचाई इसका पता लगाना और आम आदमी की खून-पसीने की कमाई  को लूटने वालों पर अंकुश लगाना भी जरूरी है। एक आम आदमी को आसान किस्तों पर मकान देने के सब्जबाग दिखाना और फिर बुकिंग के वक्त 20 या 30 प्रतिशत लेकर पंजीकृत करना और फिर जब अलाटमेंट की बारी आती है, तब उन्हें मकान न देना, इस अंधेरगर्दी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसी सुपरटेक के ट्विन टावर इलाके में मकान लेने के लिए बुकिंग करने वाले लाखों लोग बीस से पचास लाख रुपया दे चुके हैं और रकम के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। आखिरकार इन लोगों को जिन्होंने सारी जिंदगी की कमाई दे दी ना फ्लैट मिले, ना रकम वापसी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है कि खरीदारों को उनका धन या फ्लैट वापिस मिलना चाहिए जो कि अभी तक नहीं मिला। खरीदार को इंसाफ कब मिलेगा इस सवाल का जवाब मिलना चाहिए। अवैध निर्माण तो गिर रहा है जो कि असुरक्षित था लेकिन खरीदारों के पैसे की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा यह अभी भी एक बड़ा सवाल है। 
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समाजसेवी होने और अखबारी दुनिया की कमान संभालने की जिम्मेदारी हम निभा रहे हैं इसलिए लोगों की शिकायतों का ध्यान रखते हुए हम उन्हें प्र​काशित करते हैं। अनेकों लोगों ने आज से 10 साल पहले से कितने ही बिल्डरों के खिलाफ शिकातयें दर्ज कराई कुछ हिम्मत करके कोर्ट पहुंचे और कइयों ने अपना दर्द पन्नों के जरिये हमारे पास भेजा,  यह बात  प्रशासन तक पहुंचे उनके दर्द को हमने अपने समाचार पत्र में बयान भी किया। अब अगर किसी बिल्डर ने लोगों से विशेष रूप से आम आदमी से घर का सपना दिखा कर उससे पैसे ले लिये और उसे कुछ नहीं मिला तो वह शिकायत लेकर कोर्ट तक पहुंचेगा ही। आदमी 5-10 साल में किश्तंे देकर आशियाने कि कल्पना करते हुए आगे बढ़ सकता है लेकिन अब हालत यह है कि 5-10 साल में नौकरी जाने के बाद किश्तें न देने की सूरत में बुकिंग के वक्त दिए गए उसके धन की सुरक्षा कैसे होगी। सवाल इंसान की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा का है। अहम सवाल यही है कि घर बनाने का सुन्दर सपना जिस प्रकार टूट के बिखरा इस मामले में उनकी रकम वापसी की व्यवस्था और रकम की सुरक्षा भी बहुत जरूरी है। पैसे दिए तो बदले में सौदा भी ​तो मिला चाहिए। यही सच्चे सौदे की व्यवस्था कभी गुरुनानक देव जी ने साधु संतों की सेवा के बदले में पुण्य कमाने की व्यवस्था के रूप में स्थापित की थी। पैसा देने वालों को बदले में अगर घर नहीं मिलेगा तो यह कभी अच्छी डील नहीं कही जा सकती। जरूरत इस बात की है कि आम आदमी को लूटा नहीं जाना चाहिए। उसके पैसे की सुरक्षा की जानी चाहिए। 
एक बड़ी बिल्डर कंपनी सुपरटेक के ट्विन टावर अब गिरने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें गिराया जा रहा है क्योंकि यह एक अवैध निर्माण था और हर किसी की सुरक्षा को महत्व देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे गिराने का आदेश दिया है। आज के जमाने में किसी आवासीय क्षेत्र में इतने ऊंचे स्तर पर अगर अवैध निर्माण किसी की भी जान पर बन आये तो सुरक्षा के पैमाने को ध्यान में रखकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में सालों साल केस चलता रहा है और यह प्रमाणित भी हुआ है कि दोनों टावर नामी गिरामी बिल्डर ने नियमों और कानून की धज्जियां उड़ा कर बनाए थे। नोएडा की अथोरिटी ने मंजूरी बीस मंजिल की दी थी लेकिन यह 29-30 मंजिल तक कैसे प्रशासनिक साठ-गांठ के चलते स्वीकृत हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा को तवज्जो देकर इसे गिराने का आदेश दिया जिससे अब आने वाले समय में नामी गिरामी बिल्डरों को जो नियम ताक पर रखकर निर्माण कराते हैं उन्हें सबक मिल सकेगा। यह बात सच है कि आए दिन सुर्खियां अखबारों में छायी रहती हैं और चैनलों पर चर्चा रहती है कि नामी गिरामी बिल्डर किस प्रकार आम आदमी की गाढ़ी कमाई को प्रलोभन दिखाकर लूटते रहे हैं।  पहले यह टावर हरित पट्टी पर बना, इसमें भी नियमों का उल्लंघन हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने बाकायदा लम्बी जांच के बाद कम्पनी को दोषी पाया।
काश ऐसे बिल्डर सामने आएं जो रिटायर या सर्विसमैन या कम आय वाले व्यक्तियों को या मध्यम वर्गीय लोगों को आसान किश्तों पर सुन्दर घर बनाकर दें (अपना मुनाफा थोड़ा रखें) मैं दावे से कह सकती हूं ऐसे ​बिल्डर बहुत फले फूलेंगे क्योंकि हर व्यक्ति चाहे वो गरीब हो, चाहे अमीर अपने आरामदायक घर का सपना सभी का होता है और ऐसे सपने तोड़ने वाले या ऐसे सपनों को ठगने वालों को मेरे हिसाब से पाप जरूर लगता है तो मेरी ​बिल्डरों से प्रार्थना है आगे आएं और लोगों के सपनों को साकार करें। 
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