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सामूहिक बलात्कार के आरोपियों से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित हो : DCW

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने 2012 में एक किशोरी से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषियों को बरी किए जाने संबंधी मुद्दों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की बृहस्पतिवार को मांग की।

11:35 PM Nov 10, 2022 IST | Shera Rajput

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने 2012 में एक किशोरी से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषियों को बरी किए जाने संबंधी मुद्दों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की बृहस्पतिवार को मांग की।

सामूहिक बलात्कार के आरोपियों से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित हो   dcw
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने 2012 में एक किशोरी से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषियों को बरी किए जाने संबंधी मुद्दों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की बृहस्पतिवार को मांग की।
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डीसीडब्ल्यू प्रमुख स्वाति मालीवाल ने केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में दोषियों को बरी किए जाने को ‘‘खराब जांच’’ और ‘‘मुकदमे में खामियों’’ का परिणाम बताया।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा मौत की सजा पाने वाले आरोपियों को बरी करते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा उचित जांच न किए जाने और मुकदमे के दौरान कुछ खामियों को रेखांकित किया।
मालीवाल ने कहा कि फोरेंसिक साक्ष्य ने आरोपी व्यक्तियों को दोषी ठहराया, इसके बावजूद जिस असंवेदनशील तरीके से विभिन्न प्रक्रियाओं का पालन किया गया, उससे संदेह पैदा हुआ और अंततः आरोपियों को फायदा हुआ।
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उन्होंने कहा कि इस मामले का बलात्कार के अन्य मामलों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा और उच्चतम न्यायालय द्वारा उठाई गई प्रणालीगत समस्याओं को दूर किया जाना चाहिए।
मालीवाल ने सलाह दी कि गृह सचिव, पुलिस आयुक्त, डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की सदस्यता वाली एक उच्च स्तरीय समिति का तत्काल गठन किया जाए, जो दिल्ली पुलिस, फोरेंसिक प्रयोगशाला और निचली अदालत की कार्य प्रणाली को मजबूत करने के मकसद से व्यापक सुधारों का सुझाव दे।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किया जाना चाहिए कि फोरेंसिक नमूने एकत्र किए जाने के 48 घंटे के भीतर प्रयोगशाला में भेजे जाएं और यदि यह काम निर्धारित समय सीमा में न हो, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में 19 साल की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में सोमवार को तीन लोगों को बरी कर दिया था। इस मामले में एक निचली अदालत ने 2014 में तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी और मामले को ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ करार दिया था। बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसले को बरकरार रखा था।
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