हिमाचल प्रदेश चुनाव : चार संसदीय क्षेत्रों में से तीन में भाजपा को झटका, लोकसभा क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा को हिमाचल प्रदेश के शिमला, हमीरपुर और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में करारा झटका लगा है। हालांकि, पार्टी ने मंडी लोकसभा क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया।
12:01 PM Dec 09, 2022 IST | Desk Team
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा को हिमाचल प्रदेश के शिमला, हमीरपुर और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में करारा झटका लगा है। हालांकि, पार्टी ने मंडी लोकसभा क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया।
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20 सीटों पर भाजपा की संभावनाओं पर पानी फिरा
कांग्रेस ने 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीटें जीतकर हिमाचल प्रदेश को भाजपा से छीन लिया। 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे बृहस्तिवार को घोषित किए गए। पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा कांग्रेस के लिए सही दांव साबित हुआ, वहीं सेब उत्पादकों के मुद्दों ने करीब 20 सीटों पर भाजपा की संभावनाओं पर पानी फेर दिया। राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि मतदाता बढ़ती बेरोजगारी और मुद्रास्फीति से परेशान थे और सरकार के खिलाफ एक मजबूत सत्ता विरोधी लहर थी।
पुरानी पेंशन योजना की बहाली कर्मचारियों की प्रमुख मांग
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एक राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘‘पुरानी पेंशन योजना की बहाली कर्मचारियों की प्रमुख मांग है। इसके अलावा, लोग वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से भी परेशान हैं।’’ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की लोकप्रियता ने भाजपा को मंडी निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल करने में मदद की। पिछले साल मंडी लोकसभा सीट जीतने वाली कांग्रेस को यहां झटका लगा और वह 17 में से केवल पांच सीटें ही जीत सकी।
मंडी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 17 विधानसभा क्षेत्रों में रामपुर (एससी), किन्नौर (एसटी), लाहौल और स्पीति (एसटी), भरमोर (एसटी), मनाली, कुल्लू, बंजार, अन्नी (एससी), करसोग (एससी), सुंदरनगर, नाचन (एससी), सेराज, दरंग, जोगिंदरनगर, मंडी, बल्ह (एससी) और सरकाघाट शामिल हैं।
17 विधानसभा सीटों में से 13 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में बेरोजगारी, महंगाई, खराब प्रशासन और ऊना से हमीरपुर तक ट्रेन सेवा प्रमुख मुद्दे थे। हमीरपुर को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को किनारे कर दिए जाने से भी जनता नाखुश थी। इसकी कीमत भाजपा को भारी पड़ी और इस संसदीय क्षेत्र की 17 विधानसभा सीटों में से 13 पर कांग्रेस और निर्दलीयों ने जीत हासिल की।
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