आधुनिक शिक्षा पद्धति से जुड़ने की पहल, अब देवबंद में अनिवार्य होगी हिंदी और अंग्रेजी
उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले में स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने आधुनिक शिक्षा पद्धति से जुड़ने की कड़ी में पहला कदम उठाया है।
04:29 PM Sep 14, 2022 IST | Desk Team
उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले में स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने आधुनिक शिक्षा पद्धति से जुड़ने की कड़ी में पहला कदम उठाया है। देवबंद की प्रबंध समिति ने कई महत्वपूर्ण निर्णय करते हुए संस्थान में छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी में भी पढ़ाने का फैसला किया है।
Advertisement
संस्था के प्रमुख मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि दारुल उलूम की प्रबंध समिति की बैठक में किये गये अहम फैसलों में पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी को संस्थान की नीति निर्धारक इकाई ‘मजलिस-ए-सूरा’ का सदस्य भी नियुक्त किया जाना शामिल है। नौमानी के अनुसार, बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि संस्थान में छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी विषय भी अनिवार्य रूप से पढ़ना होगा।
गौरतलब है कि देवबंद में पिछले लगभग 150 साल से भी ज्यादा समय से इस्लामिक शिक्षा को लेकर कुरान, हदीस और अरबी भाषा की शिक्षा दी जाती रही है। उन्होंने बताया कि संस्थान के छात्रों को वैश्विक जरूरतों के मद्देनजर आधुनिक शिक्षा पद्धति से जोड़ने की पहल के तहत अब हिंदी और अंग्रेजी भी पढ़ाई जायेगी।
हिंदी दिवस : PM मोदी बोले-हिंदी की सरलता, संवेदनशीलता हमेशा लोगों को आकर्षित करती है
इसके लिये संस्था हिंदी और अंग्रेजी पढ़ने वाले शिक्षकों की जल्द नियुक्ति करेगी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दारूल उलूम देवबंद की बैठक में संस्थान के सालाना बजट पर भी विचार किया जा रहा है। बजट में संस्था के कर्मचारियों के वेतन में पांच फीसदी की वृद्धि की जा रही है। बैठक में निवनियुक्त सूरा के सदस्य मौलाना अरशद मदनी, सांसद बदरूद्दीन और सांसद अजमल सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।
बैठक के बाद संस्था के प्रधानाचार्य और जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने पत्रकारों को बताया कि उलेमाओं को मदरसों के सर्वे पर कोई आपत्ति नहीं है। आशंका यह है कि सर्वे के नाम पर मदरसा संचालकों और उलमाओं का उत्पीड़न हो सकता है।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने सहारनपुर के सेखुल हिंद मेडिकल कालेज का नाम बदलने की जिले के बीजेपी के नेताओं की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि मौलाना महमूद उल हसन प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। सरकार किसी भी सूरत में इस संस्था का नाम नहीं बदलेगी।
Advertisement