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अभिव्यक्ति का सर्वाधिक उत्तम माध्यम है हिंदी : प्रमोद कुमार

सत्संग को बच्चों एवं युवाओं के बीच बढ़वा देने की जरूरत है। इस मौके पर हिंदी के कई विद्वान एवं गणमान्य व्यक्तियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

12:07 PM Nov 24, 2019 IST | Desk Team

सत्संग को बच्चों एवं युवाओं के बीच बढ़वा देने की जरूरत है। इस मौके पर हिंदी के कई विद्वान एवं गणमान्य व्यक्तियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

बिहार के कला, संस्कृति एवं युवा मामले मंत्री प्रमोद कुमार ने आज कहा कि अभिव्यक्ति के लिए हिंदी सर्वाधिक सुगम्य भाषा है और यह विशेषता दुनिया के किसी अन्य भाषे में नहीं पाई जाती है। श्री कुमार ने यहां अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति यूएसए की भारतीय शाखा की बिहार-झारखंड इकाई की ओर से आयोजित ‘सांस्कृतिक विरासत’ कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि अभिव्यक्ति के लिए हिंदी सर्वाधिक सुगम्य भाषा है। उन्होंने कहा कि किसी अन्य भाषे में अभिव्यक्ति की ऐसी सुगमता ढूंढना मुश्किल है। 
मंत्री ने भविष्य में ऐसे और कार्यक्रम आयोजित कराए जाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से न केवल हिंदी साहित्य को बढ़वा मिलेगा बल्कि भारतीय संस्कृति को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा को बढ़वा देने के लिए सरकार ने कई आवश्यक कदम उठाए हैं। साथ ही कार्यकालयों में अपने काम-काज हिंदी भाषा में करने का संदेश भी दिया है। 
इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की समन्वयक सुशील मोहनका ने कहा कि हिंदी केवल भाषा नहीं बल्कि संस्कृति भी है। किसी अन्य भाषे में संबंधित क्षेत्र की संस्कृति प्रदर्शित नहीं होती है लेकिन हिंदी यह काम सफलतापूर्वक करती है। 
वहीं, समिति की बिहार-झारखंड इकाई की अध्यक्ष शोभा रानी सिंह ने कहा कि ‘सत्संग’का किसी देश या क्षेत्र की संस्कृति की रक्षा में महत्वपूर्ण स्थान है। हालांकि सत्संग को वृद्धों से जोड़कर लोगों को भ्रमित किया गया है। उन्होंने कहा कि अब मानसिकता बदलने का समय आ गया है और सत्संग को बच्चों एवं युवाओं के बीच बढ़वा देने की जरूरत है। इस मौके पर हिंदी के कई विद्वान एवं गणमान्य व्यक्तियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
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