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Hindi Poetry: 'मत समझ कि तेरे काबिल नहीं हैं हम...' शायरी की खास पेशकश

हिंदी शायरी: तड़प रहे हैं वो जिसे हासिल नहीं हैं हम

03:34 AM Apr 05, 2025 IST | Prachi Kumawat

हिंदी शायरी: तड़प रहे हैं वो जिसे हासिल नहीं हैं हम

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“ये मत समझ कि तेरे काबिल नहीं हैं हम,

तड़प रहे हैं वो जिसे हासिल नहीं हैं हम”

“बस इतनी सी बात पर हमारा परिचय तमाम होता है,

हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है”

“लोग मुझे अपने होंठों से लगाए हुए हैं,

मेरी शोहरत किसी के नाम की मोहताज नहीं”

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“मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हें याद रखता हूँ,

बातें भूल भी जाऊं पर लहजे याद रखता हूँ”

“हम जा रहे हैं वहां जहाँ दिल की हो क़दर,

बैठे रहो तुम अपनी अदायें लिए हुए”

“छोड़ दी है अब हमने वो फनकारी वरना,

तुझ जैसे हसीन तो हम कलम से बना देते थे”

“तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत ही क्या है,

कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद”

“अजीब सी बेताबी है तेरे बिना,

रह भी लेते है और रहा भी नही जाता”

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