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Hindi Poetry: मिर्ज़ा ग़ालिब से गुलज़ार तक...प्रसिद्ध शायरों की दिल छू लेने वाली रचनाएं

महान शायरों की रचनाएं जो दिलों को जोड़ती हैं

06:35 AM Apr 03, 2025 IST | Prachi Kumawat

महान शायरों की रचनाएं जो दिलों को जोड़ती हैं

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हिंदी शायरी: शायरी के माध्यम से हम अपनी भावनाओं और जज्बातों को आसानी से एक सुंदर तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। सिर्फ व्यक्त ही नहीं, बल्कि दूसरों की भावनाओं को अच्छे से समझ भी सकते हैं। शायरी दिलों को जोड़ने का काम करती है। मिर्ज़ा ग़ालिब, फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार आदि जैसे महान शायरों ने शायरी को नई ऊंचाई दी है। इन सभी प्रसिद्ध शायरों की रचनाएं आज भी पाठकों के दिलों में बसती हैं और उन्हें प्रेरित करती हैं। आइए, इस लेख के माध्यम से उनकी कुछ रचनाओं पर प्रकाश डालें।

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं

तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

अल्लामा इक़बाल

इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया

वर्ना हम भी आदमी थे काम के

मिर्ज़ा ग़ालिब

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ

आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

अहमद फ़राज़

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का

उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

मिर्ज़ा ग़ालिब

उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो

धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है

राहत इंदौरी

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी

यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

बशीर बद्र

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है

लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो

न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

बशीर बद्र

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन

उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा

साहिर लुधियानवी

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा

अल्लामा इक़बाल

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Prachi Kumawat

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