Hindi Poetry: “वो आए घर में…” शायरों की कलम से 8 खूबसूरत शेर
शायरी की दुनियां में खो जाएं, पेश हैं 8 शानदार शेर
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
अल्लामा इक़बाल
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
Ahmad Faraz Poetry: “ज़िंदगी से यही गिला है मुझे…” पढ़िए अहमद फ़राज़ के बेमिसाल शेर
की मिरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा
हाए उस ज़ूद-पशीमाँ का पशीमाँ होना
मिर्ज़ा ग़ालिब
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
मुज़फ़्फ़र रज़्मी
वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
साहिर लुधियानवी
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
फ़िराक़ गोरखपुरी
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