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Hindi Poetry: “तिरी महफ़िल में…” पढ़े शायरी की दुनिया से बेहतरीन शेर

शायरी की महफ़िल में दिलकश शेरों का जलवा

06:44 AM Apr 27, 2025 IST | Khushi Srivastava

शायरी की महफ़िल में दिलकश शेरों का जलवा

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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
अहमद फ़राज़

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
-मिर्ज़ा ग़ालिब

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
-जिगर मुरादाबादी

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दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से
इस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
-महताब राय ताबां

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए
-निदा फ़ाज़ली

निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले
-मिर्ज़ा ग़ालिब

तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
-जाफ़र अली हसरत

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
-हफ़ीज़ होशियारपुरी

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