Hindi Poetry: “हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी…” दिल को रास आने वाले शेर
दिल को छूने वाले शेरों का अनमोल खज़ाना
03:29 AM May 05, 2025 IST | Khushi Srivastava
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और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
-साहिर लुधियानवी
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
-जिगर मुरादाबादी
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
-अनवर शऊर
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
-बशीर बद्र
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
-मिर्ज़ा ग़ालिब
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
-फ़िराक़ गोरखपुरी
ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
-अहमद फ़राज़
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