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Hindi Poetry: “मुसाफ़िर हैं हम…” शायरों की कलम से 8 चुनिंदा शेर

शायरों की कलम से निकले 8 अनमोल शेर

03:58 AM Apr 10, 2025 IST | Khushi Srivastava

शायरों की कलम से निकले 8 अनमोल शेर

hindi poetry  “मुसाफ़िर हैं हम…” शायरों की कलम से 8 चुनिंदा शेर

तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
-फ़िराक़ गोरखपुरी

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
-बशीर बद्र

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ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमान
हम अभी से क्यूं बताएं क्या हमारे दिल में है
-बिस्मिल अज़ीमाबादी

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं
सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं
-हैरत इलाहाबादी

सूरज हूं ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊंगा
मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊंगा
-इक़बाल साजिद

दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहां तक रौशनी मा’लूम होती है
-नुशूर वाहिदी

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Khushi Srivastava

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