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Hindi Poetry: “कितना हसीं गुनाह…” शायरी की महफिल से 8 खूबसूरत शेर

शायरी की महफिल से 8 बेहतरीन शेर

03:23 AM Apr 22, 2025 IST | Khushi Srivastava

शायरी की महफिल से 8 बेहतरीन शेर

hindi poetry  “कितना हसीं गुनाह…” शायरी की महफिल से 8 खूबसूरत शेर

तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
-फ़िराक़ गोरखपुरी

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
-बशीर बद्र

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पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है
-मीर तक़ी मीर

वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
-जिगर मुरादाबादी

ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था
हमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते
-साक़िब लखनवी

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
-हफ़ीज़ होशियारपुरी

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Khushi Srivastava

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