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Hindi Poetry: “तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत” शायरों की महफिल से 8 खूबसूरत शेर

शायरों की महफिल से चुनिंदा 8 खूबसूरत शेर

04:29 AM Apr 06, 2025 IST | Khushi Srivastava

शायरों की महफिल से चुनिंदा 8 खूबसूरत शेर

hindi poetry  “तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत” शायरों की महफिल से 8 खूबसूरत शेर

जहां रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकान नहीं होता
-वसीम बरेलवी

सुब्ह होती है शाम होती है
उम्र यूंही तमाम होती है
-मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम

हिंदी शायरीतुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
-फ़िराक़ गोरखपुरी

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दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कभी किसी को मुकम्मल जहान नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमान नहीं मिलता
-निदा फ़ाज़ली

तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
-जाफ़र अली हसरत

आईना क्यूं न दूं कि तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहां से लाऊं कि तुझ सा कहें जिसे
-मिर्ज़ा ग़ालिब

उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
-शकील बदायूनी

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Khushi Srivastava

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