ट्रंप का हिन्दू कार्ड
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में अब फैसले की घड़ी आने वाली है। 5 नवम्बर को अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव है।
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में अब फैसले की घड़ी आने वाली है। 5 नवम्बर को अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव है। डेमोक्रेटिक की उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में दोनों के बीच कहीं बराबरी की टक्कर है तो कहीं ट्रंप आगे हैं, कहीं कमला हैरिस आगे हैं। सर्वेक्षणों में यह तथ्य भी सामने आया है कि अमेरिकी मतदाता ट्रंप को आर्थिक मुद्दों और अवैध आवर्जन से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए बेहतर उम्मीदवार मानते हैं तो दूसरी ओर कमला हैरिस को गर्भपात के मुद्दों के लिए पसंद किया जा रहा है और लोग उन्हें ज्यादा भरोसेमंद मान रहे हैं। भारत के लिहाज से कौन सी पार्टी और कौन सा उम्मीदवार बेहतर साबित हो सकता है और कैसे हजारों मील दूर अमेरिका के राष्ट्रपति का चुना जाना भारत के आम आदमी को भी प्रभावित करता है। इस मुद्दे पर भी अमेरिका में रह रहे अप्रवासी भारतीयों में गंभीर चर्चा हो रही है। भारत की ही तरह चीन, ताइवन, रूस, यूक्रेन, पाकिस्तान के लिए भी अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों का मुद्दा काफी अहम है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों का मध्य पूर्व के लोगों पर भी खासा असर होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि इन चुनावों में भारतीय मूल के मतदाताओं का दबदबा काफी बढ़ चुका है। कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप भारतीय अमेरिकियों को लुभाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। न्यूयार्क में दीपावली मानने के लिए इस बार जब भारतीय समुदाय इकट्ठा हुआ तो कमला हैरिस को लेकर भी उनमें उत्साह देखा गया क्योंकि कमला हैरिस भारतीय मूल की है आैर उसे अमेरिका में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी मिली है। कमला हैरिस के साथ ही कई अन्य भारतीय समुदाय के लोगों का भी उदय हुआ है। इसे देखते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने हिन्दू कार्ड खेल दिया है। यह एक ऐसा दांव है जो एक फीसदी मार्जिन को पाटने में मददगार हो सकता है, बल्कि ट्रंप की जीत भी सुिनश्चित कर सकता है। ट्रंप ने यह दांव खेलकर हिन्दू हितों के रक्षक के तौर पर प्रोजैक्ट करने का काम किया है। ट्रंप ने दीपावली के मौके पर कमला हैरिस और बाइडेन पर हिन्दुओं को नजरंदाज करने का आरोप लगाया। सोशल मीडिया पर एक लंबी-चौड़ी पोस्ट में उन्होंने बंगलादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हुई हिंसा और अत्याचार की निंदा की। उन्होंने हिन्दू अमेरिकियों को ‘रेडीकल लेफ्ट’ के धर्म विरोधी एजेंडे से बचाने का भरोसा दिया। साथ ही भारत और अपने अच्छे मित्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ पार्टनरशिप को और ज्यादा मजबूत करने का दावा किया। ऐसा पहली बार है जब अमेरिका के किसी पूर्व राष्ट्रपति ने सार्वजनिक तौर पर हिन्दू हितों की बात की है। अमेरिका में लगभग 52 लाख हिन्दू आबादी है और हिन्दू समुदाय मैक्सिकन के बाद सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। इसका अर्थ यह है कि अमेरिका में भारतीय अमेरिकियों की संख्या डेढ़ से पौने दो प्रतिशत के बीच है। अगर इस समुदाय का झुकाव ट्रंप की तरफ बढ़ा तो यह निर्णायक साबित हो सकता है।
भारतीय अमेरिकी परंपरागत तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी को पसंद करते हैं लेकिन कमला हैरिस भारतीय मूल की होने के बावजूद इस समुदाय को रिझा पाने में नाकाम दिख रही हैं। 2020 से शुरू हुए इंडिय अमेरिकन एटिट्यूड सर्वे (आईएएएस) के मुताबिक, डेमोक्रेटिक पार्टी ही इंडियन अमेरिकन की पहली पसंद रही है लेकिन आईएएएस के लेटेस्ट सर्वे के मुताबिक, इंडियन अमेरिकन समुदाय पर डेमोक्रेटिक पार्टी की पकड़ कमजोर हुई है। वह भी तब जब कमला हैरिस खुद भारतीय मूल की हैं। उनकी मां श्यामला हिंदू थीं। हालांकि, सर्वे के मुताबिक डेमोक्रेटिक पार्टी अभी भी इंडियन अमेरिकन समुदाय की पहली पसंद बनी हुई है।
खालिस्तानी समर्थक आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में बाइडेन प्रशासन ने जिस तरह से भारत पर अनर्गल आरोप लगाए हैं और जिस तरह से अमेरिका ने यूक्रेन में रूस के युद्ध में उसे मदद करने के मामले में एक दर्जन से अधिक देशों की चार भारतीय कम्पनियों के तहत 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए हैं उससे भी हिन्दू समुदाय में डेमोक्रेट के प्रति चुभन बढ़ी है। अब सवाल यह है कि ट्रंप और कमला हैरिस में से किसका जीतना भारत के पक्ष में है। सर्वे बताते हैं कि 67 प्रतिशत भारतीय अमेरिकी महिलाये कमला हैरिस को वोट देने की इच्छा रखती हैं लेकिन भारतीय अमेरिकी पुरुषों में ट्रंप ज्यादा लोकप्रिय है। आवर्जन कानून, भारतीय समुदाय के हित, महंगाई, कई अन्य मुद्दे भी हैं। भारतीय अमेरिकी चाहते हैं कि जो भी सरकार बने वो आवर्जन नीति में थोड़ी ढील दें। भारत और अन्य देशों के अप्रवासियों को डर है कि अगर ट्रंप जीतते हैं तो कार्रवाई होगी। ट्रंप ने इमीग्रेशन नीति को सख्त करने के लिए अमूल-चूल बदलाव का वादा किया है। साथ ही बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के सबसे बड़े निर्वासन अभियान चलाने की कसम भी खाई है। अब देखना यह है कि चुनावों में किस की जीत होती है। अमेरिका में चुनाव कोई सामान्य चुनाव नहीं हैं। चुनावों को लेकर जनता पूरी तरह से बंटी हुई है। कोई रचनात्मक बहस सामने नहीं आई है। साथ ही जनसंवाद के गिरते स्तर पर भी चिंता व्यक्त की जा रही है। स्विंग राज्य चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ऐसे चुनाव में जनता की ही असली परीक्षा होगी। यह भी देखना होगा कि ट्रंप का हिन्दू कार्ड उनकी कितनी मदद करता है।