योग का इतिहास : जानिए ! कब और कैसे हुई इसकी शुरुआत
योग एक प्राचीन भारतीय धरोहर है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक यात्रा को समेटे…..
योग एक प्राचीन भारतीय धरोहर है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक यात्रा को समेटे हुए है। इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है और महर्षि पतंजलि ने इसे योग सूत्र के माध्यम से व्यवस्थित किया। आज योग वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए अपनाया जा रहा है।
योग: एक प्राचीन भारतीय धरोहर
योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और मानसिक यात्रा है जिसकी जड़ें भारत की प्राचीन सभ्यता में गहराई से जुड़ी हुई हैं। इसका इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
वैदिक काल में योग की शुरुआत
योग का सबसे पहला उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जो लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है। उस समय योग का स्वरूप आज के जैसे शारीरिक व्यायाम की तरह नहीं था, बल्कि यह ध्यान, आत्मानुभूति और ब्रह्मज्ञान से जुड़ा हुआ था। वैदिक ऋषि गहन ध्यान और तपस्या के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करते थे।
पतंजलि और योग सूत्र
ऐसा माना जाता है कि योग के विधिवत स्वरूप को महर्षि पतंजलि ने दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में “योग सूत्र” के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने योग को आठ अंगों (अष्टांग योग) में विभाजित किया। अभ्यास के आठ तत्व जो समाधि में परिणत होते हैं। आठ तत्व, जिन्हें अंग कहा जाता है, यम (संयम), नियम (पालन), आसन (योग मुद्रा), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों को वापस लेना), धारणा ( मन की एकाग्रता), ध्यान (ध्यान) और समाधि (अवशोषण या स्थिरता) हैं।
आधुनिक युग में योग का महत्व
आज योग एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है। 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में मनाना इस बात का प्रमाण है कि योग न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अपनाया जा रहा है।