Holashtak 2025: कब से शुरु हैं होलाष्टक, क्या करें और क्या नहीं करें
होलाष्टक 2025: जानें इन दिनों के नियम और परंपराएं
भारत में हर दिन त्यौहार का होता है। क्योंकि दोनों पक्षों की कुल 30 तिथियों की अपनी संज्ञाएं है। जिनके आधार पर किस तिथि को क्या कार्य करना चाहिए और किस तिथि को क्या नहीं करना चाहिए, जैसे बहुत से सिद्धांत और मान्यताएं प्रचलित हैं। पंचांग के पांच अंग है। जिनके समन्वय से योगों का निर्माण होता जिनके आधार पर मुहूर्त आदि बनते हैं। इसी क्रम में होलिका दहन से आठ दिन पूर्व की तिथियों को होली की आठ तिथियां या होलाष्टक कहा जाता है। जिस प्रकार से सूर्य देव के धनु और मीन राशि में होने पर सभी तरह के शुभ कार्यक्रमों को स्थगित रखा जाता है उसी प्रकार से होलाष्टक की इन आठ तिथियों में भी सभी तरह के शुभ कार्यों पर रोक रहती है। इस दौरान सगाई-विवाह, गृहारम्भ, गृह प्रवेश या फिर किसी भी मांगलिक कार्यक्रम की शुरूआत और नवीन वाहन आदि खरीदना को अशुभ माना गया है।
कब आरम्भ होंगे होलाष्टक
होलाष्टक दो शब्दों होली और अष्टक से मिलकर बना है। यदि इसका शाब्दिक अर्थ देखें तो होली के आठ दिन होगा। इन दिनों की शुरुआत होलिका दहन से आठ दिन पूर्व होती है। और होलिका दहन के के पहले दिन इनकी समाप्ति होती है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रम संवत् 2081, तद्नुसार अंग्रेजी दिनांक 7 मार्च 2025 शुक्रवार से होलाष्टक की शुरुआत होगी। होलाष्टक की समाप्ति 13 मार्च 2025 को होगी। होलाष्टक फाल्गुन मास में आता है। फाल्गुन मास विक्रम संवत् कैलेंडर का अंतिम मास होता है। इसमें भगवान शिव के भक्तों के लिए अति प्रिय महाशिवरात्रि का पर्व आयोजित होता है। उसके बाद इसी मास में होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के दूसरे दिन रंगों का प्रसिद्ध त्योहार होली या धुलण्डी मनाया जाता है।
होलाष्टक के दिनों में क्या नहीं करें
वैसे तो होलाष्टक के इन आठ दिनों में सभी शुभ कार्यों पर रोक होती है। लेकिन खास तौर पर सगाई-विवाह और नूतन गृह-प्रवेश और नये व्यापार का आरम्भ जैसे कार्यों को करने की विशेष मनाही है। घर में शिशु के जन्मोत्सव, मुंडन, नामकरण संस्कार और नये घर या नये बिजनेस की इमारत को बनाने की शुरुआत भी नहीं होनी चाहिए। यदि आप कोई नया वाहन खरीदना चाहते हैं तो इन आठ दिनों में नहीं खरीदना चाहिए।
होलाष्टक में क्या कर सकते हैं
होलाष्टक के इन आठ दिनों में ग्रहों की शान्ति और अपने इष्ट देव की आराधना कर सकते हैं। यदि आप किन्हीं ग्रहों के दोष के कारण पीड़ित हैं तो उनके मंत्र जाप और दान आदि इन दिनों में करने से विशेष प्रभावी माने जाते हैं। पितरों की शान्ति और गो-सेवा जैसे काम भी होलाष्टक में किये जा सकते हैं। फाल्गुन मास में शिव की प्रसन्नता के लिए अनुष्ठान या महामृत्युंजय के मंत्रों के जाप भी विशेष शुभ फलदायी समझे जाते हैं।