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होली समरसता व स्नेह दिखाने का त्योहार, रंगों के माध्यम से अपनों को नजदीक लाया जाता है : किरण चोपड़ा

होली के तरानों पर मची झूमी , एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर दीं गई होली की शुभकामनाएं

11:26 AM Mar 06, 2025 IST | Kiran Chopra

होली के तरानों पर मची झूमी , एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर दीं गई होली की शुभकामनाएं

होली समरसता व स्नेह दिखाने का त्योहार  रंगों के माध्यम से अपनों को नजदीक लाया जाता है   किरण चोपड़ा

राष्ट्र सेविका समिति दिल्ली प्रांत द्वारा गुरुवार को होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। राष्ट्र सेविका समिति दिल्ली प्रांत के प्रचार विभाग द्वारा आयोजित ‘सप्तरंग’ कार्यक्रम में मौजूद सेविकाओं ने एक-दूसरे को बधाई दी। पारंपरिक होली परिधानों में सजी महिलाओं ने एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर पर्व की शुभकामनाएं दीं। साथ ही वे होली के तरानों पर झूमी। पंजाब केसरी की सीएमडी व वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण ने राष्ट्र सेविका समिति की इस पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि होली समरसता व स्नेह दिखाने का त्योहार है।

इस दिन रंगों के माध्यम से रूठों को मनाया जाता है। अपनों को नजदीक लाया जाता है। रंग इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि रंग हमारी भावनाओं के प्रतीक होते हैं। सभी रंगों का अपना महत्व होता है, इनके बिना जीवन अधूरा होता है। किरण चोपड़ा ने कहा कि होली के रंग व महिला के अस्तित्व में कई समानताएं होती हैं। जैसे रंग होली पर एक-दूसरे को नजदीक लाते हैं, वैसे ही महिला भी मां,बहन व पत्नी के रूप में हमें जोड़े रखती हैं, हमारे जीवन में प्यार व स्नेह लाती हैं।

उन्होंने बताया कि अश्विनी जी के जाने के बाद उनके जीवन में भी काफी उदासी आ गई थी । और जीवन के रंग चले गए थे। जैसे भारतीय महिला करती हैं मैंने भी सफेद कपड़े पहनने शुरु कर दिये थे लेकिन पहले भी पहनती थी वे लाल बिंदी के साथ होते थे। जब मैंने सफेद कपड़े पहनने शुरु कर दिये तो मेरे बेटों ने मुझसे कहा कि अगर मां आप यह पहनोगी तो हमें लगेगा कि पिता जी हमारे बीच में नहीं हैं। अगर आप रंगीन कपड़े पहनोगी जैसे पापा जी के सामने पहनती थी। तो हमें लगेगा आप के रूप में पापा जी जीवित हैं। इसलिए हमारे लिए रंगीन कपड़े पहनो। उनके कहने पर मैंने रंगीन कपड़े पहनने शुरु कर दियेे। इस तरह रंगों से मेरे जीवन में बदलाव आया और सोच में भी फर्क पडऩे लगा।

वहीं राष्ट्र सेविका समिति की दिल्ली प्रांत संचालिक चारु कालरा ने कहा कि स्त्री ही राष्ट्र की शक्ति का आधार है, ये मूलमंत्र आज राष्ट्र सेविका समिति की हर सेविका के दिल में है। समाज व देशहित के उद्देश्य से 25 अक्टूबर 1936 को विजयदशमी के दिन लक्ष्मीबाई केलकर (मौसी जी) ने राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की। मौसी जी लगाया हुआ यह पौधा आज वटवृक्ष के रूप में 22 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है। दिल्ली में आज राष्ट्र सेविका समिति की 86 शाखाएं लग रही हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति में हर कार्य का विभाग है। मेधाविनी सिंधु सृजन इसकी बौद्धिक ईकाई है। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्र सेविका समिति का कार्य सज्जन शक्ति को जागरुक करना व कनेक्ट करना है।

कार्यक्रम के अंत में धन्वाद ज्ञापित करते हुए दिल्ली प्रांत सह प्रचार प्रमुख विदूषी शर्मा ने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का अनुषांगिक संगठन है। इतनी बड़ी संख्या में मेहमानों की मौजूदगी ने हमारा उत्साहवर्धन किया है। आपसी संवाद स्थापित करने के लिए ऐसे कार्यक्रम आगे भी आयोजित किये जाएंगे। कार्यक्रम में राष्ट्र सेविका समिति दिल्ली प्रांत की संचालिका चारु कालरा, अखिल भारतीय तरुणी प्रमुख व दिल्ली प्रांत की प्रचारिका विजया शर्मा, अखिल भारतीय संपर्क टोली, सृजना शर्मा, प्रांत प्रचार प्रमुख रचना बाजपेई, सह प्रचार प्रमुख विदूषी शर्मा सहित विश्व हिन्दु परिषद के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी व इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष अशोक सचदेवा व समिति की पदाधिकारियों व पत्रकार सहित कई वैचारिक संगठनों से जुड़े गणमान्य भी मौजूद रहे।

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Kiran Chopra

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