RBI रेपो रेट और CRR Hike होने से बढ़ेंगी होम लोन और कार लोन की EMI, जानिए कैसे?
RBI ने अप्रत्याशित तरीके से रेपो रेट (Repo Rate) और कैश रिजर्व रेशियो (Cash Reserve Ratio) बढ़ाने का ऐलान किया है। RBI के इस फैसले के बाद रेपो रेट 4% से बढ़कर 4.40% और सीआरआर 4% से बढ़कर 4.50 % हो गया।
02:06 PM May 05, 2022 IST | Desk Team
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने अप्रत्याशित तरीके से रेपो रेट (Repo Rate) और कैश रिजर्व रेशियो (Cash Reserve Ratio) बढ़ाने का ऐलान किया है। RBI के इस फैसले के बाद रेपो रेट 4% से बढ़कर 4.40% और सीआरआर 4% से बढ़कर 4.50 % हो गया। रेपो रेट बढ़ने के बाद कई तरह के लोन की ईएमआई (EMI) भी बढ़ने वाली है।
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आरबीआई ने यह ऐलान देश में बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के उद्देश्य से लिया है। कोरोना काल के शुरू होने के बाद मई 2020 के बाद पहली बार रिजर्व बैंक ने इन दरों में बढोतरी की है। हालांकि, RBI के इस कदम का असर उन लोगों पर पड़ेगा, जिन्होंने होम लोन और ऑटो लोन लिया है।
इन लोन पर पड़ेगा RBI के कदम का असर
रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने से सबसे पहले होम लोन (Home Loan) पर असर पड़ने वाला है। अभी बैंकों के होम लोन एमसीएलआर (MCLR) और आरएलएलआर (RLLR) से लिंक्ड होते हैं। RBI ने 2019 में सभी बैंकों को कहा था कि वे नए होम लोन्स को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करें, क्योंकि बैंक आरबीआई के रेपो रेट घटाने का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे थे।
इसी तरह बैंकों को सभी प्रकार के रिटेल लोन और पर्सनल लोन को भी किसी एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करने को कहा गया था। इसके लिए बैंकों को आरबीआई रेपो रेट, 3 या 6 महीने के सरकारी ट्रेजरी बिल के रेट या फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) के द्वारा प्रकाशित किसी भी अन्य बेंचमार्क मार्केट इंटेरेस्ट रेट का विकल्प दिया गया था। पुराने कर्जदारों को भी ये सुविधा दी गई थी।
क्या है Repo Rate?
आपको बता दें कि रेपो रेट से मतलब होता है कि रिजर्व बैंक जिस रेट पर अन्य बैकों को कर्ज देती है। इसी आधार पर बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता है। रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि ग्राहकों को कम दाम पर लोन मिलेगा और रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि अब लोन महंगा हो जाएगा। साथ एफडी की ब्याज दरें भी बढ़ेंगी, ऐसे में एफडी कराने वालों को पहले के मुकाबले ज्यादा ब्याज मिलेगा।
MPC की बैठक में RBI का फैसला
दरअसल, बिना किसी तय कार्यक्रम के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 2-4 मई को हुई बैठक के बाद आरबीआई ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को तत्काल प्रभाव से 0.40% बढ़ाकर 4.40% करने की घोषणा की। हालांकि, RBI ने इस साल अप्रैल में Monetary Policy Review में मुद्रास्फीति को लेकर जो अनुमान जताया था, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) पिछले तीन महीने से RBI के लक्ष्य की उच्चतम सीमा 6% से ऊपर बनी हुई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में लगभग सभी जिंसों के दाम बढ़े हैं। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 5.7% रहने का अनुमान रखा है।
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