Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

काश! स्वच्छता अभियान में मंदिर भी हों

2 अक्तूबर को सारे देश में स्वच्छता दिवस मनाया गया। बड़े से लेकर छोटे नेता ने इसमें हिस्सा ​लिया। कई तो सिर्फ फोटो खिंचवाने तक सिमट कर रह गए।

05:26 AM Oct 06, 2019 IST | Kiran Chopra

2 अक्तूबर को सारे देश में स्वच्छता दिवस मनाया गया। बड़े से लेकर छोटे नेता ने इसमें हिस्सा ​लिया। कई तो सिर्फ फोटो खिंचवाने तक सिमट कर रह गए।

2 अक्तूबर को सारे देश में स्वच्छता दिवस मनाया गया। बड़े से लेकर छोटे नेता ने इसमें हिस्सा ​लिया। कई तो सिर्फ फोटो खिंचवाने तक सिमट कर रह गए। कई असली में सफाई कर रहे थे। अगर सच में सभी सफाई करें तो थोड़े ही समय में भारत साफ हो जाएगा और स्वच्छता दिवस रोज होना चाहिए। सबसे अच्छी दिल को छू लेने वाली बात यह लगी कि जब पीतमपुरा की 80 के करीब शिक्षित महिलाओं-इकोवारियर्स, जिनमें डॉक्टर भी हैं, ने मुझे अपने अभियान में बुलाया। 
Advertisement
मैं उनको मिलने के लिए बहुत उत्साहित थी क्योंकि किसी भी काम को महिलाएं ठान लें तो उसे पूरा करके ही छोड़ती हैं। वहां जाकर मुझे और भी खुशी हुई जब उनके साथ उनके बच्चे और कालोनी वाले शिक्षित लोग भी शामिल थे। वहां वह सचमुच सफाई कर रहे थे। गलब्स पहने हुए थे, मास्क भी लगाए थे। उनके साथ मुझे बड़ी सुखद अनुभूति हो रही थी। इसमें कोई शक नहीं कि साफ-सफाई का जीवन में बहुत महत्व है। कहते हैं जहां स्वच्छता है वहां भगवान का वास होता है। सफाई घर में ही नहीं बल्कि पूरी कालोनी और शहर में भी होनी चाहिए। इसी को जोड़ते हुए आज से 5 साल पहले मोदी जी ने स्वच्छता अभियान पूरे भारत में चलाया था। क्योंकि आज कन्या पूजन है, दुर्गा अष्टमी भी है। हम सभी पूजा करेंगे तो मैं इसे मंदिर की सफाई से भी जोड़ती हूं। 
काश! हमारे देश में मंदिरों की सफाई का अभियान भी शुरू हो जाए क्योंकि मुझे बड़ा दुःख होता कि मंदिरों में जैसी सफाई होनी चाहिए वैसी नहीं होती। मुझे इस बात का गर्व है कि देश के सभी गुरुद्वारे हमारे महान सिख गुरुओं की कृपा से न केवल पवित्रता के बल्कि स्वच्छता के भी प्रतीक हैं। वैष्णो देवी में हमारा वैष्णो श्राइन बोर्ड भी पवित्रता, स्वच्छता और धार्मिक आस्था का एक ऐसा केन्द्र है जहां लाखों श्रद्धालु रोज दर्शन करते हैं। अब तो वैष्णो देवी की पवित्र गुफा का द्वार भी मां दुर्गा की कृपा से स्वर्ण का बन चुका है। यही नहीं दिल्ली के छतरपुर मंदिर में भी सफाई है और मुझे सबसे ज्यादा आनंद गुरु जी के बड़े मंदिर में जाकर आता है, जहां सफाई है, सिस्टम है। हर समय गुरुद्वारों की तरह लंगर प्रसाद भी है। मैं शिवजी की उपासक हूं और वहां शिव का स्वरूप है। वहां जाकर मुझे बहुत आनंद मिलता है। 
काश! हमारे देश के सभी मंदिर उसी व्यवस्था से सफाई और सिस्टम से चलें, लंगर प्रसाद भी चले और वहां स्वयंसेवक जो श्रद्धाभाव रखते हों, सफाई रखते हों, सेवा करें तो बात बन सकती है। मंदिरों में संचालन व्यवस्था के लिए केवल उन लोगों को प्रबंधन टीम में शामिल किया जाना चाहिए जो खुद पवित्र रहते हों, सफाई पसंद हों। संत कबीर ने भी कहा है मन चंगा तो कठौती में वाण गंगा अर्थात् मन तो शुद्ध होना ही चाहिए। अभी दिल्ली के मंदिर कात्यायनी शक्ति पीठ हो या झंडेवाला मंदि​र हो वहां भी साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था है, परन्तु बहुत से मंदिरों में कहीं प्रसाद गिरा रहे हैं, फूल गिरा रहे हैं, पुजारी फोनों पर व्यस्त हैं। 
कितने ही मंदिरों में जेबकतरों का भी बोलबाला है जिसमें मैं आपबीती का भी वर्णन कर चुकी हूं कि काफी साल पहले मेरे पर्स में से वायलेट निकाल लिया था जबकि सिक्योरिटी वाले साथ थे। मेरे उसमें 30,000 रुपए और कई क्रेडिट कार्ड थे। मैं बहुत परेशानी हुई थी, परन्तु कुछ दिनों बाद मुझे डाक द्वारा पार्सल मिला। मेरे क्रेडिट कार्ड वापस आए और साथ में पत्र लिखा था कि मैं मजबूरी का मारा हूं, मुझे पैसों की जरूरत थी तो मैंने रख लिए हैं और जब मैंने आपकी फोटो देखी तो मुझे पछतावा हुआ क्योंकि मुझे मालूम है आप बुजुर्गों के लिए, गरीबों के लिए बहुत काम करती हो। मैं अखबार पढ़ता हूं, आपकी फोटो भी देखता हूं इसलिए आपके जरूरी कार्ड और पर्स लौटा रहा हूं। 
आशा है मुझे क्षमा करेंगी। तब तक मैं अपने क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवा चुकी थी, परन्तु सोच भी रही थी कि जेबकतरे का भी ईमान है और हमारे पाठक भी हमें दिल से चाहते हैं। फिर उसी बात पर आती हूं, मंदिरों में चाहे पूजा का साजो-सामान हो या प्रसाद हो, वह जमीन पर नहीं गिरना चाहिए और मंदिरों में सफाई की व्यवस्था होनी ही चाहिए। प्रवेश द्वार से लेकर दर्शन के लिए लगी लाइनों तक हमें अच्छी व्यवस्था रखनी चाहिए। बड़े मंदिर की व्यवस्था से सीखना चाहिए और सारे देश के मंदिरों का ट्रस्ट बनाना चाहिए ताकि उच्च व्यवस्था हो सके, पुुजारी और पंडितों को अच्छी तनख्वाह मिले, वस्त्र मिलें ताकि ​ लालच की गुंजाइश न रहे, बाकि का पैसा मंदिरों की सफाई व्यवस्था में लगे और उसके बाद जरूरतमंदों के लिए या अस्पतालों के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। हर मंदिर में स्वयंसेवक यानी श्रद्धा से सेवा करने वाले होने चाहिएं। इससे स्वच्छता और सेवा भाव की नींव रखी जाएगी।
Advertisement
Next Article