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कुंडली में पूर्ण गजकेसरी योग वाला बन सकता है मिनिस्टर

01:36 PM Sep 11, 2024 IST
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परिभाषा और परिणाम

भारतीय ज्योतिष में हजारों योग हैं। लेकिन जो मान्यता और लोकप्रियता गजकेसरी को प्राप्त है वह कदाचित दूसरे किसी योग को नहीं है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इस प्रकार से भी लगा सकते हैं कि ज्योतिष से सर्वथा अनभिज्ञ व्यक्ति ने भी जीवन में एक बात तो अवश्य ही गजकेसरी योग का नाम सुना होता है। यह उसी प्रकार है जैसे कि हस्तरेखाओं के विषय में कुछ भी नहीं जानने वाला व्यक्ति भी कीरो का नाम उछल-उछल कर बताता है। यह अलग बात है कि ज्योतिष में योगों की संख्या हजारों हैं और राशि और भावों के आधार पर उनका वर्गीकरण किया जाए तो यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। उदाहरण के लिए केवल गजकेसरी योग को ही उसके भावों और राशियों के आधार पर सौ से अधिक वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

क्या है गजकेसरी योग की परिभाषा ?

गजकेसरी की प्रारंभिक परिभाषा बहुत सरल है जैसे चन्द्रमा और बृहस्पति जब एक दूसरे से केंद्र में हो तो गजकेसरी योग बनता है। सरल भाषा में कहा जाए तो जब चन्द्रमा से बृहस्पति या बृहस्पति से चन्द्रमा लग्न, चतुर्थ, सप्तम या दशम स्थान पर हो तो गजकेसरी योग माना जाता है। और मान्यता है कि ऐसा व्यक्ति राजा के समान जीवन व्यतीत करता है। यदि ऐसा व्यक्ति गरीब घर में भी पैदा हो तो भी अपने जीवन में बहुत धन सम्पदा और वैभव को प्राप्त करता है। उसे राजनीति में सफलता मिलती है। प्राचीन वैदिक ग्रंथों में तो यहां तक लिखा है कि ऐसा व्यक्ति मुख्यमंत्री होता है। यदि सामान्य भाषा में बात की जाए तो गजकेसरी योग एक अव्वल दर्जे का राजयोग है। यदि यह योग पूरी तरह से बना हो तो निश्चित तौर पर इसका परिणाम मिलता है। जातक चाहे जैसी परिस्थिति में क्यों न पैदा हुआ हो वह अपने जीवन में उन्नति अवश्य करता है। लेकिन यह उन्नति उसके पारिवारिक पृष्ठभूमि पर देखनी चाहिए। यदि गरीबी में जन्म लेने वाला और अपनी जन्म कुंडली में पूर्ण गजकेसरी रखने वाला व्यक्ति यदि अपने जीवन में लखपति भी हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि गजकेसरी योग ने अपना फल दे दिया है।

25 प्रतिशत से अधिक जन्म पत्रिकाओं में गजकेसरी मिल जाता है

जब हम गजकेसरी को एक सीमित परिभाषा में बांधे तो कम से कम 25 प्रतिशत लोगों की जन्म पत्रिका में गजकेसरी योग मिल जाता है। कुंडली में कुल बारह भाव होते है। चन्द्रमा से केन्द्र का अर्थ हुआ कि बारह में से चार भाव। अर्थात स्वाभाविक तौर पर 25 प्रतिशत जन्म कुंडली में यह योग मिल जायेगा। इससे स्पष्ट हो जाता है कि चन्द्रमा से केन्द्र में बृहस्पति होने मात्र से किसी जन्म कुंडली में गजकेसरी को नहीं मान लेना चाहिए। क्योंकि ऐसा होना व्यवहारिक जीवन में भी संभव नहीं है। इसलिए पूर्ण गजकेसरी योग को तभी समझा जाना चाहिए जब कि चन्द्रमा और बृहस्पति दोनों ही शुभ राशि में हो और शुभ भावों में हो। इसके अलावा यह भी आवश्यक है कि दोनों ग्रह पीड़ित नहीं हो। चन्द्रमा भी पक्षबली हो। जो योग इन शर्तों को पूर्ण करता है वही सही अर्थाें में गजकेसरी योग होता है। और किसी भी व्यक्ति के जीवन में इसका परिणाम भी निश्चित तौर पर मिलता है।

गजकेसरी के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातें

- केवल चन्द्रमा और बृहस्पति के एक दूसरे से केंद्र में होने से ही यह योग नहीं होता है।

- इस योग में जातक की पारिवारिक पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

- यदि जातक राजनीतिक परिवार से है तो साधारण गजकेसरी भी कुछ हद तक अपना प्रभाव दिखा सकता है। लेकिन जातक की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक नहीं है तो पूर्ण गजकेसरी ही काम करेगा।

Astrologer Satyanaryan Jangid

WhatsApp - 6375962521

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