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जल का स्थान कहां होना चाहिए

01:46 PM Jan 26, 2024 IST
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वास्तव में वास्तु पंच तत्त्वों के समन्वय का विज्ञान है। यदि आपने अपने घर या ऑफिस में इन पंच तत्त्वों को वास्तु के अनुसार समायोजित कर लिया है तो आप वास्तु का लाभ ले सकते हैं। जल, वायु, आकाश, अग्नि और पृथ्वी ये पांच तत्त्व हैं। सभी पंच तत्त्वों का अपना एक महत्त्व है। इसलिए सभी तत्त्वों को अपने निर्धारित स्थान और परिवेश में होना चाहिए। यह बात जल तत्त्व पर भी लागू होती है। जो पांच तत्त्व है उनमें अग्नि और जल तत्त्व सबसे महत्वपूर्ण तत्त्वों में से है। इनको सुव्यस्थित रखना बहुत आवश्यक है। क्योंकि ये तत्त्व हमारी भौतिक सुख-सुविधाओं से सीधा संबंध बनाते हैं।

मैंने अपने अनुभव में यह देखा है कि जिस घर में या परिसर में जल तत्त्व की उपलब्धता नहीं हो या उपलब्धता हो लेकिन वह अपने ठीक स्थान पर नहीं हो तो घर में उन्नत्ति नहीं हो पाती है। यह बिल्कुल सटीक और लगभग शत-प्रतिशत ठीक बैठता है। इसलिए मैं जहां भी वास्तु विजिट करता हूं वहां जल के स्थान को प्रधानता देता हूं। मेरे बहुत से प्रिय पाठक अक्सर मुझ से प्रश्न करते हैं कि जल का बिल्कुल ठीक स्थान कौनसा है।

 

इस लेख में मैं कोशिश करूंगा कि सभी शंकाओं का निवारण हो सके।स्थूल रूप से जल का संग्रह तीन तरह से हो सकता है। पहला है भूमिगत जल अर्थात् अण्डरग्राउंड वाटर टैंक। दूसरा है ओवरहैड टैंक और तीसरा है भूमि पर रखा हुआ जल। इन तीन प्रकार के संग्रह के अलावा कोई चौथा प्रकार नहीं होता है। सर्वप्रथम भूमिगत जल की बात करना ठीक होगा।

 

कुछ मामलों में देखा जाता है कि भूमिगत अर्थात् अण्डरग्राउंड वाटर टैंक को लोग पूरी तरह से ईशान कोण में बना देते हैं। यह पूरी तरह से वास्तु के विपरीत स्थिति है। अण्डरग्राउंड वाटर टैंक को कभी भी पूरी तरह से ईशान कोण में नहीं होना चाहिए। भूमिगत जल को हमेशा उत्तरी-ईशान में होना चाहिए। जैसा कि मैंने चित्र में दिखाया है। छत्त पर रखी गई पानी की टंकी को आमतौर पर ओवरहैड वाटरटैंक कहा जाता है। यह अग्नि कोण के अलावा किसी भी स्थान पर रखी जा सकती है। वैसे वाटरटैंक को रखने का सबसे बेहतर स्थान पश्चिम दिशा होती है। लेकिन आवश्यक होने पर बाप उसे उत्तर दिशा में भी रख सकते हैं। लेकिन ओवरहैड वाटरटैंक कभी भी अग्नि कोण में नहीं रखना चाहिए। कुछ लोग भूमि के उपर ही सीमेन्ट या प्लास्टिक के टैंक में जल का संग्रह करते हैं। इस प्रकार के जल का संग्रह भी अग्नि कोण में नहीं होना चाहिए। इसके लिए सबसे बेहतर स्थान उत्तर, पूर्व और उत्तर-पश्चिम दिशा है। लेकिन बहुत आवश्यक होने पर आप इसे दक्षिण-दक्षिण पश्चिम या वायव्य कोण में भी रख सकते हैं।

Astrologer Satyaranaryan Jangid
WhatsApp - 6375962521
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