चौथे नवरात्रि: लंबे समय से बीमार रहने वाला व्यक्ति आज के दिन जरुर करें ये काम,बीमारी हो जाएगी छुमंतर
नवरात्रि के चौथे दिन देवी के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा होती है। देवी कूष्मांडा आदिशक्ति का वह स्वरूप है जिनकी मंद मुस्कान से इस सृष्टि ने सांस लेना आरंभ किया, यानी इस सृष्टि का आरंभ किया।माना जाता है कि मां के कुष्मांडा रूप की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है।
मां कूष्माण्डा की पूजाविधि
देवी कूष्मांडा की पूजा में कुमकुम, मौली, अक्षत, पान के पत्ते, केसर और शृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाएं। सफेद कुम्हड़ा या कुम्हड़ा है तो उसे मातारानी को अर्पित कर दें, फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें।
आरती के बाद उस दीपक को पूरे घर में दिखा दें ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है। अब मां कूष्मांडा से अपने परिवार के सुख-समृद्धि और संकटों से रक्षा का आशीर्वाद लें।
मां कूष्मांडा का प्रिय भोग
मां कूष्मांडा को पूजा के समय हलवा, मीठा दही या मालपुए का प्रसाद चढ़ाना चाहिए और इस भोग को खुद तो ग्रहण करें ही साथ ही ब्राह्मणों को भी दान देना चाहिए।
मां कूष्मांडा का प्रिय फूल और रंग
मां कूष्मांडा को लाल रंग प्रिय है, इसलिए पूजा में उनको लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल, लाल गुलाब आदि अर्पित कर सकते हैं, इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
देवी कूष्माण्डा अपने भक्तों को रोग,शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। जिस व्यक्ति को लंबे समय से किसी रोग ने घेरा हुआ है या घर में कोई सदस्य लंबे समय से बीमार है तो घर का कोई भी एक सदस्य आज के दिन बीमार व्यक्ति के हाथ से या हाथ लगाकर सवा किलो आटा और सवा किलो चीनी लेकर किसी भी मंदिर में रख दें। जल्द ही मां कूष्मांडा के आर्शीवाद से बीमारी दूर हो जाएगी।