लंकापति रावण ने इस भगवान के सामने बजाई थी तीन बार ताली और हो गई 3 मन की इच्छा पूरी,आप भी 3 ताली बजा के करें मन की इच्छा पूरी
हम अक्सर पौराणिक कथाओं में सुनते हैं कि रावण ने सीता का हरण तो किया था लेकिन उन्हें हाथ नहीं लगाया था। इसी घटना को देखते हुए बहुत से लोग उन्हेंमर्यादित कहते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं लंकाधिपति रावण शिवजी का परम भक्त था। यही नहीं हमारे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी रावण चाहे एक असुर था, पर उससे कई बढ़कर वह भगवान शिव का भक्त था।रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र की रचना की। जिसे सुनकर शिवजी प्रसन्न हुए।
रावण ने भगवान शिव से अमर होने का वरदान मांगा था। उन्होंने शिव जी को खुश करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। इससे भी उनकी बुद्धि का अंदाजा लगायाजा सकता है। ऐसा भी माना जाता है कि रावण के पास 10 सिर मतलब 10 दिमाग थे जिनकी मदद से वो सोचने-समझने की ज्यादा क्षमता रखता था। शिव तांडव का शुरुआत भी रावण ने ही की थी।
रावण ने अपनी भक्ति के चलते भगवान शिव के सामने तीन ताली बजा कर भगवान शिव को प्रसन्न कर अपनी मन की इच्छा पूरी की।
शिवजी की पूजा में 3 बार बजाते हैं ताली
शिवजी की पूजा वैसे तो काफी सरल हैं लेकिन फिर भी इस दौरान कई चीजों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। आपने अक्सर देखा होगा कि शिवजी की पूजा करते समय लोग तीन बार ताली बजाते हैं। ऐसा करना शिव पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा माना जाता है, मगर बहुत ही कम लोग इसके पीछे का कारण जानते हैं।
ये है शिवजी में ताली बजाने का कारण
भगवान शिव की पूजा में जो 3 ताली बजाई जाती है, उन तीनों के पीछे अलग-अलग कारण छिपे हैं। पहली ताली महादेव को अपनी उपस्थिती बताने के लिए बजाई जाती है। दूसरी ताली इसलिए बजाई जाती है कि अगर हम शिवजी से कुछ ना भी मांगे तो भी हमारे घर का भंडार भरा रहे। तीसरी ताली बजाने का अर्थ है कि महादेव हमें अपने चरणों में शरणागति प्रदान करे।
यदि आप भी अपने मन की इच्छा पूरी करना चाहते हैं,चाहते हैं कि आपके रुके हुए काम पूरी हो जाए तो आप भी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव के सामने तीन ताली जरुर बजाएं।