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Sawan 2025 : शिव का ऐसा अद्भुत धाम, जहां मंदिर के पत्थर से आती है डमरू की आवाज

10:41 AM Jul 18, 2025 IST | Shivangi Shandilya
Sawan 2025

Sawan 2025 : सावन शुरू है ऐसे में आप शिव मंदिर तो जाते ही है, तो इस बार भी आप ये शिव मंदिर जरूर जाएं। देवाधिदेव महादेव का संसार बड़ा अद्भुत है। देश में शिव के प्रसिद्ध धामों की श्रृंखला बहुत बड़ी है। इसके साथ ही शिव के कुछ ऐसे भी धाम हैं जो इतने रहस्यमयी हैं जिनके बारे में सुनकर ही आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। इसके साथ ही शिव के कुछ ऐसे धाम भी हैं जिनके चमत्कार के सामने विज्ञान भी नतमस्तक हो जाता है। भारत में 'देव भूमि के नाम से मशहूर और बर्फीले पहाड़ों का प्रांत कहकर संबोधित होने वाले हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा ही शिव मंदिर है जो रहस्यों से भरा पड़ा है। इस मंदिर के पत्थर से डमरू की आवाज आती है।

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मंदिर बनाने में 39 साल लगे थे

हालांकि हिमाचल के सोलन जिले में स्थित इस शिव मंदिर की स्थापना आज के समय में की गई है और इसे बनाने में 39 साल लग गए। (Sawan 2025) सावन शुरू है ऐसे में आप शिव मंदिर तो जाते ही है, तो इस बार भी आप ये शिव मंदिर जरूर जाएं। देवाधिदेव महादेव का संसार बड़ा अद्भुत है। देश में शिव के प्रसिद्ध धामों की श्रृंखला बहुत बड़ी है।इस शिव मंदिर के रहस्यों के बारे में आप जानेंगे तो आप अपने दांतों तले उंगली दबा लेंगे। दरअसल, इस शिव मंदिर को एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कहा जाता है। इसे यहां जटोली शिव मंदिर के नाम से ख्याति प्राप्त है। इस मंदिर के पत्थरों को जब आप थपथपाएंगे तो इससे डमरू की ध्वनि निकलेगी।

स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने लिया था संकल्प 

इस मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इसका संकल्प स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने लिया था। (Sawan 2025) उन्होंने 1950 में यहां सोलन की इस दुर्गम पहाड़ी पर शिव मंदिर के निर्माण का बीड़ा उठाया। फिर लगभग 39 साल की कड़ी मेहनत के बाद इस मंदिर का निर्माण पूर्ण हुआ, लेकिन इससे ठीक 6 साल पहले 1983 में ही स्वामी जी का निधन हो गया। फिर उनके शिष्यों ने स्वामी जी के अधूरे सपनों को साकार रूप दिया और इस मंदिर के निर्माण कार्य को पूर्णता प्रदान की।

 111 फीट ऊंचा मंदिर 

सोलन में पहाड़ की दुर्गम और सबसे ऊंची चोटी पर 111 फीट ऊंचा यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचे मंदिर का गौरव धारण कर खड़ा है। (Sawan 2025) इस मंदिर को दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित कराया गया है, जो उत्तर से दक्षिण के एकीकरण को दर्शाता है। इस मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर पर एक विशाल सोने का कलश है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। इस मंदिर के अंदर महादेव का शिवलिंग भव्य एवं विशाल है और यह स्फटिक मणि का बना है। यहीं स्वामी कृष्णानंद की समाधि भी बगल में स्थित है।

Sawan 2025

पौराणिक मान्यता

हालांकि इस मंदिर को जिस स्थान पर बनाया गया है, वहां के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवान शिव आए थे और उन्होंने कुछ समय के लिए यहां वास किया था। अभी तो आपको इस मंदिर के बारे में उतना ही पता चला जितना बताया गया, लेकिन इसी मंदिर के पास ही एक प्राचीन शिवलिंग भी लंबे समय से स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर कभी भगवान शिव का विश्राम स्थल हुआ करता था। इसके साथ ही भगवान शिव की लंबी जटाओं के कारण इसका नाम जटोली मंदिर पड़ा है।

गंगा नदी के समान पवित्र

इस निर्जन पहाड़ी में, जहां कोई जलस्त्रोत नहीं है, ऐसी सूखी जगह पर मंदिर के उत्तर-पूर्व कोने में जल कुंड' है जिले गंगा नदी के समान पवित्र माना जाता है। (Sawan 2025) कहा जाता है कि इस कुंड के जल में कुछ औषधीय गुण हैं जो त्वचा रोगों का इलाज कर सकते हैं। इस जल कुंड के बारे में कहा जाता है कि जब स्वामी कृष्णानंद परमहंस यहां आए थे तो उन्होंने देखा कि सोलन में लोग पानी की समस्या से परेशान रहते हैं।

साल 2013 में इसे शिव भक्तों के लिए खोला गया

कहते हैं इसके लिए उन्होंने महादेव का घोर तप किया और फिर यहां इस जल कुंड की उत्पत्ति हुई। इसके बाद से इस इलाके में कभी पानी की कमी नहीं हुई। (Sawan 2025) जटोली शिव मंदिर के निर्माण के पूरा होने के बाद भी इसे दर्शनार्थियों के लिए तुरंत नहीं खोला गया था, फिर साल 2013 में इसे शिव भक्तों के लिए खोल दिया गया।

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