नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए शाम के समय करें ये काम
हिंदुओं में नवरात्रि का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह त्यौहार पूरे देश में हिंदू भक्तों द्वारा व्यापक रूप से मनाया जाता है।देवी चंद्रघंटा मां पार्वती का विवाहित रूप हैं। भगवान शिव से विवाह करने के बाद देवी ने अपने माथे पर आधा चंद्रमा सजाना शुरू कर दिया। इसीलिए देवी पार्वती को मां चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी चंद्रघंटा वह हैं, जो न्याय और अनुशासन की स्थापना करती हैं।
उनके शरीर का रंग चमकीला सुनहरा है और वह शेर पर सवार हैं, जो धर्म का प्रतीक है। उनके दस हाथ, तीन आंखें हैं और वह हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार, बाण, धनुष, कमंडल, कमल का फूल और जप माला धारण करती हैं। उनके माथे पर घंटी या घंटे के आकार में एक 'चंद्र' स्थापित है। उनका पांचवां बायां हाथ वरद मुद्रा के रूप में है और पांचवां दाहिना हाथ अभय मुद्रा के रूप में है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के तीसरे दिन जो भी भक्त माता रानी के तीसरे रूप यानी मां चंद्रघंटा की विधि-विधान से पूजा आराधना करता है, उसे माता की कृपा प्राप्त होती है।
माता की पूजा करते समय सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपनी पूजा से प्रसन्न करने के लिए सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें। मां चंद्रघंटा की पूजा की शुरुआत पुष्प चढ़ाकर करें। उसके पश्चात माता को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। पंचामृत, चीनीऔर मिश्री भी मां को अर्पित करनी चाहिए।
माता के लिए मंत्र का उच्चारण
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
इस मंत्र का उच्चारण करने से माता प्रसन्न होती हैं और माता की कृपा हमेशा बनी रहती है।