India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

छठ पर्व का क्या है महत्व, कैसे हुई शुरुआत? जानें इसके बारे में सबकुछ

07:25 PM Nov 17, 2023 IST
Advertisement

श्री कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को कार्तिक षष्ठी पर्व और आम बोलचाल की भाषा में कार्तिकी छठ पर्व कहा जाता है। कुछ स्थानों पर इसे सूर्य षष्ठी, डाला छठ या प्रतिहार के नामों से भी जाना जाता है। हालांकि यह कमोबेश पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है लेकिन विशेष तौर पर बिहार में इस पर्व की खास मान्यता है। इसके अलावा छठ पर्व पश्चिम बंगाल, नेपाल के तराई क्षेत्र, पूर्वी उत्तर-प्रदेश और झारखण्ड जैसे राज्यों में भी पूरी धार्मिक मान्यता के अनुसार मनाया जाता है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि यह पर्व से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य का संचार होता है। समस्याओं से मुक्ति मिलती है और इच्छाओं की पूर्ति होती है।

छठ माता को देवी पार्वती का छठा अवतार माना जाता है। और इस रूप में छठ माता को सूर्य देव की बहन माना जाता है। हालांकि देश-काल के भौगोलिक परिवेश के अनुसार नामों में काफी कुछ भिन्नता देखने में आ सकती है जैसे बंगाली में रनबे ठाकुर तो भोजपुरी में सबिता माई कहा जाता है। कुछ स्थानों पर इसे त्योहारों की देवी के रूप में भी पूजे जाने की परम्परा है। जैसे बंगाल में काली पूजा के छह दिन बाद छठ मनाया जाता है। छठ पूजा में पारंपरिक संस्कृति के अनुसार बिना सिलाई के सूती धोती पहनी जाती है। भारत वर्ष में जो त्यौहार पौराणिक काल से अनवरत जारी है उनमें होली, दीपावली के साथ छठ पर्व भी है। मूलतः छठ पर्व सूर्य की पारम्परिक पूजा से संबद्ध है। छठ पूजा का पुराणों में भी स्पष्ट उल्लेख है। रामायण के अनुसार देवी सीता ने भी छठ पूजा संपन्न की थी।

ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान राम के राजसूय यज्ञ के उपरान्त माता सीता ने सात दिनों तक सूर्य उपासना की। यह उपासना कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को षष्ठी पूजा आरम्भ करके षष्ठी को सुसंपन्न किया। इसलिए इसे षष्ठी पर्व कहा जाता है। यद्यपि रामायण को महाभारत से पूर्व का समय माना जाता है। लेकिन कुछ विद्वानों की यह मान्यता भी है कि कुंती पुत्र कर्ण जो कि सूर्य का अंशावतार था उसने इस पर्व की शुरूआत की थी। कर्ण प्रतिदिन प्रातः नदी में खड़े होकर सूर्य की पूजा करता था। ऐसी मान्यता है कि इस पूजा के उपरान्त उससे जिस किसी वस्तु को दान में मांगा जाता था, वह उसे निःसंकोच प्रदान करता है। आमतौर पर छठ पूजा की शुरूआती दीपावली के बाद आने वाली षष्ठी से आरम्भ होती है और इसके बाद यह पर्व अपने विभिन्न धार्मिक रीति-रिवाजों की परम्पराओं को निभाते हुए लगातार चार दिनों तक चलता है। इन दिनों में लोग भगवान श्री सूर्य की आराधना करके पूरे साल तक सुख और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

ज्योतिर्विद सत्यनारायण जांगिड़

astrojangid@gmail.com

Advertisement
Next Article