Navratri: कब शुरू होंगे नवरात्र?
आत्मिक और आध्यात्मिक शुद्धि के प्रतीक है नवरात्रि के नौ दिन
यदि नवरात्रि की शाब्दिक व्याख्या की जाए तो इसका अर्थ है कि रात्रि के नौ दिन। लेकिन इसके इस शाब्दिक परिप्रेक्ष्य की तुलना में इसका अर्थ बहुत व्यापक है। और यह नौ दिन नौ रात्रि के प्रतीक न होकर जगत जननी माता के प्रति आस्था और ध्यान के प्रतीक हैं। यदि मूल रूप से देखा जाए तो नवरात्रि के नौ दिन आत्मनिरीक्षण और आत्मा की शुद्धि के का एक समय होता है। इसके अलावा दिनों में आत्मिक शुद्धि के साथ शारीरिक शुद्धि भी महत्व रखती है। इन दिनों में अखाद्य जैसे मांस और मदिरा आदि का सेवन पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है। यह पूरी तरह से शुद्धता और सात्विकता के नौ दिन हैं। इसलिए जो भी भक्त नवरात्रि के उपवास करते हैं उन्हें बहुत सावधानी से इस अनुष्ठान को पूर्ण करना चाहिए। यह साधारण पूजा नहीं है।
मान्यता है कि भारत भूमि में नवरात्रि के नौ दिन सबसे प्राचीन त्योहार माने जाते हैं। कुछ विद्वानों का यहां तक मत है कि मानव को जब बोध हुआ उसी काल से देवी पूजा की परम्परा चली आ रही है। कहा जाता है कि देवी पूजा वैदिक काल से भी पहले प्रचलन में है। वास्तव में दुर्गा पूजा या नवरात्रि का पर्व शक्तिपुंज की पूजा है। जिसके बारे में समझा जाता है कि इस सृष्टि की रचना इसी शक्तिपुंज से हुई है।
शक्ति के नौ रूप
पूरे भारत में अनेक शक्ति पीठ हैं। जिनमें देवियों के स्वरूप भी एक दूसरे से पृथक हैं। लेकिन वास्तव में यह एक शक्ति की विभिन्न रूपों में पूजा है। इसे आप एक ही शक्ति के अनेक रूप भी कह सकते हैं। हालांकि नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक चलता है लेकिन कुछ स्थानों पर अष्टमी को कन्या पूजा के साथ समापन करते हैं। नौवें दिन बालिकाओं को आमंत्रित किया जाता है। नौ बालिकाओं की पूजा की जाती है और उन्हें भोजन करवाकर उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया जाता है। इससे पूर्व माता के भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। उपवास के दौरान अनाज खाने से परहेज किया जाता है। केवल फलाहार या दूध के आहार को लिया जाता है। कुछ भक्त नौ दिनों तक केवल पानी पर भी उपवास करते हैं। तो कुछ भक्त पूरे दिन और रात्रि में केवल एक बार दूध का सेवन करके उपवास रखते हैं। सभी की अपनी-अपनी मान्यताएं और विश्वास है लेकिन आस्था शक्तिस्वरूपा मां जगदम्बा को ही समर्पित होती है। माता के उपवास के दौरान इन नौ दिनों में मानसिक के साथ-साथ शारीरिक शुद्धि का भी बहुत महत्व है। पूर्णतः ब्रह्मचर्य का पालन और तामसिक खाद्य पदार्थों से परहेज सबसे महत्वपूर्ण है।
कब आरम्भ होंगे नवरात्र
वैसे तो एक विक्रम संवत वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं। लेकिन आश्विन नवरात्रि को विशेष महत्व प्राप्त है। आश्विन शुक्ल पक्ष प्रथमा तिथि, विक्रम संवत 2081 गुरुवार तद्नुसार अंग्रेजी दिनांक 3 अक्टूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि का प्रारम्भ होगा। इसे घटस्थापना भी कहा जाता है। प्रथम दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। मान्यता है कि चूंकि नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो रही है इसलिए माता इस बार पालकी में सवार होकर आयेंगी। आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी तिथि, विक्रम संवत 2081 शुक्रवार, तदनुसार अंग्रेजी दिनांक 11 अक्टूबर 2024 को दुर्गा नवमी पूजा के साथ नवरात्रि का समापन होगा। दुर्गा अष्टमी और नवमी एक ही दिन होगी। इसके अगले दिन दशहरा का पर्व मनाया जायेगा और बुराई के प्रतीक रावण का दहन होगा।
गुजरात में होंगे विशेष उत्सव
गुजरात का नवरात्रि विशेष प्रसिद्ध है। इन नौ दिनों में महिलाएं और पुरुष नये वस्त्रों से सज्जित होकर डांडिया और गरबा खेलते हैं। आमतौर पर डांडिया नृत्य पूरी रात चलता है। नवरात्रि का पर्व गुजरात में सर्वाधिक लोकप्रिय त्योहार है। लोग बहुत पहले से इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं। लोग ज्यादा से ज्यादा सात्विक आचरण से माता को रिझाने की कोशिश करते हैं। इन नौ दिनों में यहां बिजनेस में खासा उलटफेर हो जाता है।
बंगाल में होती है विशेष दुर्गा पूजा
पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में लोकप्रिय है। आप इसे बंगालियों का प्रमुख त्योहार भी कह सकते हैं। दुर्गा पूजा की तैयारी महीनों पहले से हो जाती है। कैलेंडर भेद के कारण बंगाल में दुर्गा पूजा की शुरुआत 9 अक्टूबर 2024 से शुरू होगी और इसका समापन 12 अक्टूबर को होगा।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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