India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

रसोई में मां अन्नपूर्णा देवी का चित्र कहां लगाना चाहिए?

04:52 PM May 22, 2024 IST
Advertisement

जगत जननी मां जगदम्बा का एक स्वरूप अन्नपूर्णा देवी है। मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा ही संसार का अन्न से पोषण करती हैं। कुछ प्रदेशों में मां अन्नपूर्णा को ही शाकम्भरी देवी के रूप में पूजा जाता है। विश्व के समस्त जीवों को मां अन्नपूर्णा के द्वारा ही अन्न की प्राप्ति होती है। इसलिए हिन्दू धर्म का मानने वाले लगभग प्रत्येक भारतीय के घर के रसोई में मां अन्नपूर्णा का दैदीप्यमान चित्र प्रायः देखने को मिल जाता है। इस चित्र में देवी अन्नपूर्णा, भगवान शंकर को भिक्षा के रूप में अन्न प्रदान करती हुई दिखाई देती है। यह इस बात का प्रतीक है कि मां अन्नपूर्णा ही संसार का भरण-पोषण करती हैं।

क्या है पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार एक समय पृथ्वी पर अन्न की कमी होने से चारों तरफ भूख का साम्राज्य फैल गया। देवताओं ने भगवान श्री विष्णु से प्रार्थना की। भगवान श्री विष्णु और ब्रह्माजी इस संकट के निवारण के लिए कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के समक्ष पहुंचे। भगवान शिव ने सभी से शीघ्र संकट के निवारण का वादा किया। कालांतर में मां गौरी ने पृथ्वी पर अन्नपूर्णा देवी के रूप में अवतार लिया। सर्वप्रथम भगवान शिव ने मां गौरी के हाथों से भिक्षा ग्रहण की। इसके बाद चारों तरफ अन्न और जल की पूर्ति होने लगी। सभी ने मां अन्नपूर्णा की हर्षोल्लास से जय-जयकार की। यह दिन मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन मां गौरी ने अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को मां अन्नपूर्णा का जन्म दिवस के तौर पर मनाये जाने की परंपरा है। मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है। इसलिए कुछ लोग इस दिन दान और पुण्य करने की अनुशंसा भी करते हैं।

एक दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान शिव का मां गौरी के साथ लगन हो गया तो दोनों कैलाश पर रहने लगे। लेकिन मां गौरी की बड़ी इच्छा थी कि वे अपने ससुराल अर्थात काशी में निवास करे। गौरी की इच्छानुसार भगवान शंकर काशी में निवास करने लगे। माना जाता है कि सत्य, त्रेता और द्वापर तीनों ही युगों में काशी श्मशान का रूप थी। मां अन्नपूर्णा की कृपा दृष्टि के बाद कलयुग में काशी का विकास हुआ।

मां अन्नपूर्णा का चित्र कहाँ लगाना चाहिए

सुख का मूलाधार स्वास्थ्य है। तभी तो कहा जाता है कि पहला सुख निरोगी काया। और स्वास्थ्य का मूलाधार शुद्ध और पौष्टिक आहार है। और यह सब उसी रसोई में संभव है जो कि परिपूर्ण हो। इसलिए किसी भी घर में रसोई का महत्व हमेशा सर्वोपरि रहना चाहिए। भारतीय जनमानस में यह मान्यता प्रचलन में है कि प्रत्येक घर की रसोई में मां अन्नपूर्णा का चित्र जरूर होना चाहिए। आमतौर पर ऐसा होता भी है। ज्यादातर लोग मां अन्नपूर्णा का चित्र रसोई में रखते हैं। अब बात आती है कि मां अन्नपूर्णा का चित्र किस दिशा में लगाना शुभ होता है। और किस दिशा विशेष में नहीं लगाना चाहिए।

मां अन्नपूर्णा है जगदम्बा का एक रूप

भारतीय जनमानस में भोजन की शुद्धता को विशेष महत्व दिया जाता है। दूसरा स्थान अन्न की पूर्णता को है। कहने का तात्पर्य यह है कि वही रसोई पूर्ण है जिसके अन्न भण्डार हमेशा भरे-पूरे हों। इसके लिए देवी अन्नपूर्णा के चित्र को रसोई में स्थापित करने की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है। नेपाल में देवी अन्नपूर्णा का प्रसिद्ध मंदिर है। माँ अन्नपूर्णा के दो चित्र अधिक प्रचलित हैं। एक में वे आशीर्वाद की मुद्रा में अन्न के भण्डार उड़ेल रहीं हैं और दूसरे चित्र में वे भगवान शिव को भिक्षा दे रही हैं। दोनों ही चित्र मोहक रचना है। लेकिन मेरे दृष्टिकोण से अन्न के भण्डार उड़ेलने वाला चित्र अधिक शास्त्रीय है।

चित्र कहाँ लगाना चाहिए

प्रायः गलत स्थान पर चित्र लगा दिया जाता है। मां अन्नपूर्णा का चित्र हमेशा रसोई की पूर्वी दीवार पर लगाना चाहिए। चित्र को कभी भी वाशबेसिन के निकट नहीं होना चाहिए। इसके अलावा यह भी ध्यान में रखने की बात है कि मां अन्नपूर्णा का चित्र कम से कम 11 इंच गुणा 6 इंच का होना चाहिए। ज्यादा अच्छा माप 17 इंच गुणा 11 इंच है।
Astrologer Satyanarayan Jangid
WhatsApp - 6375962521

Advertisement
Next Article