उत्तम स्वास्थ्य के लिए करें गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा
वैसे तो सनातन धर्म में वर्ष के सभी दिन कोई न कोई व्रत और त्यौहार होता है लेकिन कार्तिक महीने को धार्मिक क्रिया कलापों के लिए विशेष फलदायी माना गया है। श्री कार्तिक मास में कार्तिक स्नान का भी विशेष महत्व है। इसके अलावा इस मास में लगभग सभी दिन कोई न कोई उत्सव का आयोजन होता रहता है। इसलिए इस मास को हिंदू धर्म का सबसे उत्तम मास समझा जाता है। सामान्य व्रतों के अलावा इस मास में बहुत से महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार भी आते हैं। इस क्रम में गोपाष्टमी भी एक है। सनातन पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के पर्व मनाया जाता है। सामान्य तौर पर इस पर्व के दौरान गो पूजा के लिए विशेष आयोजन होते हैं।
क्या है गोपाष्टमी का महत्व
जब गाय पूजन और सेवा की बात हो तो भगवान श्रीकृष्ण को कैसे भूला जा सकता है। श्रीकृष्ण और गाय तो एक दूसरे के पूरक हैं। ऐसा माना जाता है की गोपाष्टमी पर्व मनाए जाने की शुरूआत द्वापर युग से हुई थी। हालांकि सतयुग में भी गो पूजन के कुछ दृष्टांत प्राप्त होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक शुक्ल की प्रथमा से कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर उठा लिया था। अन्ततोगत्वा देवतओं के राजा इंद्रदेव को अपना हठ छोड़ना पड़ा और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इस खुशी के अवसर को स्थायी बनाने के लिए अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जाने लगा।
गोपाष्टमी मुख्यतः गो पूजा का पर्व है
सनातन धर्म में गाय को पूजनीय और पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यतओं के अनुसार गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का निवास है। श्रीकृष्ण ने अपनी बाल्यावस्था गायों के संग ही व्यतीत की थी। श्रीकृष्ण का गो-प्रेम सर्वविदित है। इसलिए माना जाता है कि गोपाष्टमी पर गायों की पूजा करने का एक अर्थ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी है। ज्योतिष के अनुसार पाप ग्रह शनि के आराध्य देव भी श्रीकृष्ण ही हैं। इसलिए मेरा यह निजि तौर पर समझना है कि जिन प्रिय सज्जनों को शनि जनित पीड़ा है उन्हें गोपाष्टमी को गाय की पूजा या सेवा अवश्य करनी चाहिए। इससे निश्चित रूप से शनि का शमन होता है और शनि शुभ फल देने लगता है।
गोपाष्टमी कब मनाएं
वैसे तो गो सेवा का कोई मुहूर्त नहीं होता है। आप जब भी चाहे गो सेवा करने का लाभ ले सकते हैं। लेकिन गोपाष्टमी को इसका विशेष महत्व है। गोपाष्टमी 20 नवंबर 2023, सोमवार को मनाया जाएगा। 20 नवम्बर 2023 को समस्त दिन ही अष्टमी तिथि है फिर भी प्रातः 09.30 से 11.00 बजे तक का समय विशेष शुभ है।
ज्योतिर्विद् सत्यनारायण जांगिड़
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