Housefull 5 Review: सस्पेंस से भरपूर है ‘हाउसफुल 5’, क्लाईमैक्स हिला देगा दिमाग
हाउसफुल 5: हंसी के साथ सस्पेंस का तड़का
भारतीय कॉमेडी फिल्मों की चर्चित फ्रेंचाइज़ी हाउसफुल की पांचवीं फिल्म आखिरकार रिलीज हो चुकी है। हर बार की तरह इस बार भी फिल्म में बड़े सितारों की भरमार है, इस सीरीज़ की पहचान है – खूब सारी कॉमेडी, गड़बड़झाला, और मज़ेदार सिचुएशन। लेकिन क्या यह फिल्म भी पहले जैसी मज़ेदार है? क्या सिर्फ स्टार पावर ही एक फिल्म को दर्शकों के लिए रोचक बना सकती है?
पहली दो फिल्में जहां साजिद खान ने डायरेक्ट की थीं, वहीं तीसरी में साजिद-फरहाद और चौथी में फरहाद सामजी ने बागडोर संभाली। अब पांचवीं किस्त में निर्देशन का जिम्मा तरुण मनसुखानी को मिला है, जो पिछली बार साल 2019 में ‘ड्राइव’ के साथ नज़र आए थे।
हाउसफुल 5 के लिए करीब छह साल का इंतजार किया गया, लेकिन लंबे अंतराल के बाद भी फिल्म वो मजा नहीं दे पाई जो दर्शकों को उम्मीद थी
Housefull 5 Review
कहानी और अभिनय कैसा है ?
फिल्म की कहानी एक क्रूज शिप पर सेट है, जहाँ एक अमीर व्यक्ति की रहस्यमयी मौत हो जाती है और उसके तीन वारिस सामने आते हैं – जिनका नाम एक ही है: जॉली। ये तीनों किरदार निभाए हैं अक्षय कुमार, अभिषेक बच्चन और रितेश देशमुख ने।
फिल्म में कॉमेडी, भ्रम, हत्या और ग़लतफहमियों का मेल है, लेकिन यह सब इतने सतही ढंग से परोसा गया है कि दर्शकों के लिए इसमें खो जाना मुश्किल हो जाता है। फिल्म में पाँच जोड़ियों की कहानी दिखाई गई है। हर जोड़ी किसी गड़बड़ी में फंसी होती है। किसी को सच्चाई नहीं पता, कोई झूठ बोल रहा है, और सब एक-दूसरे को लेकर कन्फ्यूज़ रहते हैं। इसी कन्फ्यूजन से कॉमेडी बनती है। कुछ सीन में हंसी आती है, लेकिन कई जगह जोक्स कमजोर लगते हैं।
अक्षय कुमार अपने पुराने कॉमेडी अंदाज़ में लौटे हैं – फुर्तीले, मजाकिया और एनर्जेटिक। रितेश देशमुख हमेशा की तरह मजेदार हैं बाकी कलाकार भी अपनी कोशिश करते हैं, लेकिन स्क्रिप्ट बहुत दमदार नहीं है। अभिषेक और रितेश ने अपने हिस्से का काम ठीक से किया है, मगर उनकी मौजूदगी भी स्क्रिप्ट की कमजोरियों को नहीं छुपा पाई।
नाना पाटेकर इस कॉमेडी के बीच सबसे अलग और असरदार दिखते हैं। वहीं संजय दत्त और जैकी श्रॉफ की मौजूदगी केवल कैमियो जैसी महसूस होती है।
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बजट और पर ज्यादा, स्क्रिप्ट पर कम फोकस
निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने फिल्म को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी – सेट्स, लोकेशन, गानों और कास्टिंग में पैसा पानी की तरह बहाया गया। लेकिन अच्छी कहानी और पटकथा के बिना यह सब एक दिखावटी तमाशा बन कर रह गया है।
‘लाल परी’ गाना फिल्म की हाईलाइट था, लेकिन इसके ऊपर भी कॉपीराइट विवाद हुआ, जिसे बाद में सुलझा लिया गया।20 से अधिक कलाकारों को एक फिल्म में समेटना आसान नहीं होता, और यहां यह साफ नज़र आता है। फिल्म का निर्देशन, स्क्रीनप्ले और एडिटिंग – सब कुछ जल्दीबाज़ी में किया गया लगता है। दर्शक यह समझ ही नहीं पाते कि इतने सारे किरदारों में ध्यान किस पर दें।
कुल मिलाकर क्या फिल्म देखनी चाहिए?
अगर आप दिमाग घर छोड़कर सिर्फ हँसी-मजाक के मूड में हैं, तो हाउसफुल 5 एक बार देख सकते हैं। लेकिन अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि यह फिल्म आपको बहुत हँसाएगी या कुछ नया दिखाएगी – तो शायद आप थोड़े निराश होंगे।