सोना कितना सोहणा है...
आज सोने की कीमत आसमान को छू रही है। सोना सिर्फ धातु नहीं है, यह हमारे…
आज सोने की कीमत आसमान को छू रही है। सोना सिर्फ धातु नहीं है, यह हमारे समाज, परम्परा और भावनाओं से जुड़ा हुआ है। हर भारतीय अपनी बेटी की शादी पर सोना जरूर देता है। अपनी बहू को भी जरूर पहनाता है। पहले पहल तो लड़के को चेन या किसी के बच्चा पैदा हुआ तो उसको चेन देना यह आम बात थी परन्तु अब यह सबकी पहुंच से बाहर हो रही है। पहले शगून में सोने की गिनी भी आम बात थी, अब वो भी पहुंच से बाहर है। क्योंकि सोने की कीमत 94,350 रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंच चुकी है। महज 6 महीने में भारत में सोना 76000 रुपए तोले से 94000 रुपए तोले को पार कर गया। आज टैरिफ वॉर यानि कि शुल्क युद्ध हो चुका है। भारत की महिलाओं में सोने के गहनों के प्रति प्रेम कहानियों में है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। सोने को लेकर पूजा की जाती है, शृंगार किया जाता है।
सोना इतना महंगा क्यों होता जा रहा है। जब लोगों में सोने को खरीदने की चाह ज्यादा होती है और बाजार में उसकी उपलब्धता कम होती है तो कीमतें बढ़ जाती हैं। डॉलर और रुपये का रिश्ता है। जब डॉलर महंगा होता है तो रुपया कमजोर होता है, तब भारत को विदेश से सोना मंगवाने में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। यही नहीं जब दुनिया में कहीं संकट होता है-जैसे युद्ध मंदी या बाजार में गिरावट तो लोग निवेश के लिए सोने को सुरक्षित मानते हैं, इससे मांग बढ़ती है और कीमतें भी। मुझे लग रहा है कि इस वर्ष दीवाली तक सोना 1 लाख तक पहुंच जाएगा।
व्यापारी, कारोबारी की एक फितरत होती है कि ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाए लेकिन किसी चीज की डिमांड और सप्लाई के हिसाब-किताब को व्यापारी अच्छी तरह से समझता है और जब जमाखोरी पर उतरता है तो बाजार व्यवस्था प्रभावित होती है। खाने-पीने की चीजों में दाल-दलहन वगैराह की जमाखोरी चलती है लेकिन लंबी नहीं चल पाती परंतु पीली धातु अर्थात गोल्ड को लेकर ऐसा लगता है कि इस वक्त बड़े-बड़े ज्वैलर्स और सोने के व्यापारी भारी मात्रा में स्टॉक जमा कर रहे हैं और किसी न किसी अघोषित तथा सुनियाेजित तरीके से सोने की जमाखोरी कर रहे हैं। सोना एक ऐसी चीज है जो भविष्य की पूंजी है और हालात बिगड़ने पर किसी का भी जीवन संवार सकता है। बेटी की शादी से लेकर उसके जीवन तक सोना एक बड़ी पूंजी के रूप में देखा जाता है। इसीलिए यह सुरक्षित भी है लेकिन यह नियंत्रण से बाहर नहीं होना चाहिए। आज हालात नियंत्रण से बाहर ही हैं। इस भारी कीमत पर चिंता जरूर है लेकिन अगर इसका हल न हुआ तो बाजार व्यवस्था को यह बुरी तरह से प्रभावित करेगा। दुनिया में सबसे ज्यादा साेने के गहने भारत में ही पहने जाते हैं। इसीलिए यह भारत में सबसे महंगा है। ट्रंप ने जो दुनिया के उत्पादों पर टैरिफ लगाकर युद्ध छेड़ा है उस पर समय रहते कंट्रोल नहीं किया गया तो पूरी दुनिया की मंदी तबाही का एक बड़ा जलजला लेकर आयेगी।
भारत जैसे देश में बच्चे का जन्म हो या बच्चों की शादी, लेन-देन में, शगुन में सोने का प्रचलन सबसे ज्यादा है क्योंकि इसका क्रेज है। क्योंकि यह रीति-रिवाजों से जुड़ा है लेकिन कोई न कोई पॉलिसी तो बननी चाहिए। एक ज्वैलर के पास कितना सोना है, रोजाना कितना स्टाक है इस पर नजर रखने वाला, इसे मॉनिटर करने वाली मशीनरी को नजर रखनी होगी। आज से दो साल पहले जब सोना 65-70 हजार रुपये तोला था और अगर किसी के पास अच्छा खासा स्टॉक था तो आज 94000 रुपये तोले की तुलना में वह कितनी कमाई कर गया होगा, इस कर कंट्रोल कौन करेगा यह समय की मांग है। सोने की जब लेन-देन के तौर पर भारत जैसे देश में परंपरा हो तो बाजार व्यवस्था पर नजर रखना जरूरी है। कहते हैं कि आने वाले दिनों में सोना विशेष रूप से दीवाली के आते-आते 1 लाख रुपये तोला तक पहुंच जायेगा। त्यौहारी सीजन और शादियों का सीजन तब पूरे चरम पर होगा।
आज की तारीख में शेयर बाजार बैठ रहा है। जो सोने के एक्सपर्ट डिबेट करते हैं वह बता रहे हैं कि आस्ट्रेलिया से होने वाली सोने की सप्लाई भारत में जमाखोरी की भेंट चढ़ रही है। ब्रिटेन हो या संयुक्त अरब अमीरात वहां गोल्ड की खरीदारी में भारतीय ही आगे हैं। अमरीका में भारतीयों ने भारी मात्रा में सोना खरीद रखा है। बाजार में जो संदेश जा रहा है उसे एक भावनात्मक हथियार बनाकर कारोबारी अपना काम कर रहे हैं। आम हो या खास हर आदमी के लिए गोल्ड जरूरी है इसलिए समय आ गया है कि गोल्ड को लेकर विशेष रूप से कारोबारियों की जमाखोरी को लेकर सरकार को न सिर्फ नजर रखनी होगी बल्कि कड़े एक्शन के लिए भी तैयार रहना होगा।