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कैसे पड़ा हनुमान जी का 'बजरंग बली' नाम, जानें इसके पीछे की कहानी

‘बजरंग बली’ नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी की कहानी

12:22 PM Apr 12, 2025 IST | Shivangi Shandilya

‘बजरंग बली’ नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी की कहानी

कैसे पड़ा हनुमान जी का  बजरंग बली  नाम  जानें इसके पीछे की कहानी

हनुमान जी, जिन्हें ‘बजरंग बली’ भी कहा जाता है, कलयुग के चिरंजीवी हैं और उनकी भक्ति सरल और फलदाई है। वे हमेशा भक्तों की पुकार सुनते हैं और उनकी कृपा पाने के लिए किसी बड़े यज्ञ या लंबे उपवास की जरूरत नहीं होती। उनका नाम लेने मात्र से भय दूर हो जाता है और मन स्थिर हो जाता है।

शास्त्रों की मानें तो हनुमान जी कलयुग के चिरंजीवी हैं। इसका मतलब है कि उनकी कभी मृत्यु नहीं होगी। जब भी कोई भक्त सच्चे मन से एक बार हनुमान जी को याद करता है, वे अपने भक्तों को दर्शन जरूर देते हैं। यह सिर्फ विश्वास ही नहीं बल्कि लोगों का अनुभव भी है। हनुमान जी का कहना है कि जहां -जहां राम का नाम लिया जाएगा मैं वहां निश्चित मिलूंगा। कहा जाता है कि कलयुग में भगवान की भक्ति करना कठिन है लेकिन हनुमान जी की भक्ति काफी सरल और फलदाई है। इसलिए अधिकांश भक्त हनुमान जी की पूजा अधिक करते हैं।

हनुमान जी हमेशा सुनते है पुकार

बता दें कि मुश्किल और कठिन समय में देवताओं तक पहुंचना भले ही मुश्किल हो, लेकिन हनुमानजी भक्त की पुकार सुनने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उनकी कृपा पाने के लिए न तो किसी बड़े यज्ञ की जरूरत होती है और न ही लंबे उपवास की। भक्तों को उन पर विश्वास रखना चाहिए। उनका नाम लेने मात्र से भय दूर हो जाता है, मन स्थिर हो जाता है और संकट भी दूर हो जाता है।

कलयुग में अधिक भय

कलयुग में डर, अंधविश्वास और निगेटिव एनर्जी का प्रभाव सबसे अधिक होता है। लेकिन जहां हमुमान जी की मौजूदगी होती है, वहां कोई भी नकारात्मक शक्ति टिक नहीं पाती। यही कारण है कि हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण जैसे ग्रंथों का जाप करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और सुरक्षा की भावना महसूस होती है। इसी वजह से हनुमान जी को कलयुग के देवता कहा जाता है। वे न सिर्फ संकटों को हारते हैं बल्कि शक्ति, भक्ति और शांति के प्रतिक भी हैं।

‘बजरंग बली’ कहने के पीछे का कारण

‘बजरंग’ नाम का मतलब है वज्र, वज्र इतना शक्तिशाली होता है कि यह हीरे को उसी तरह काट सकता है जैसे चाकू किसी नरम फल को काटता है। यह उनके अजेय स्वभाव और किसी भी बाधा को पार करने की क्षमता का प्रतीक है। ‘वज्र’ + ‘अंग’ का मतलब होता है, व्रज से बना शरीर अर्थात ऐसा शरीर जो अभेध हो।

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