आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान को कैसे मिल जाता है IMF से लोन? जानें वजह
कंगाल पाकिस्तान को कैसे मिल जाता है लोन?
पाकिस्तान अब तक IMF से 23 बार वित्तीय मदद ले चुका है. जबकि कई बार वह पहले लिए गए कर्ज़ समय पर नहीं चुका पाया है. बावजूद इसके, उसे बार-बार नया कर्ज़ मिलता रहा है. यह सवाल उठता है कि क्या केवल आर्थिक कारणों से ही पाकिस्तान को मदद दी जाती है?
Pakistan News: आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान की हालात दुनिया में सब कोई जानता है. ये देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. महंगाई लगातार रिकॉर्ड स्तर पर बनी हुई है, विदेशी मुद्रा भंडार कई बार खात्मे की कगार पर पहुंच चुका है, और देश पर विदेशी कर्ज का भार लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके बावजूद यह बात सबको हैरान करती है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं जैसे IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) , विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (ADB) बार-बार पाकिस्तान को आर्थिक सहायता कैसे प्रदान करती हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अब तक IMF से 23 बार वित्तीय मदद ले चुका है. जबकि कई बार वह पहले लिए गए कर्ज़ समय पर नहीं चुका पाया है. बावजूद इसके, उसे बार-बार नया कर्ज़ मिलता रहा है. यह सवाल उठता है कि क्या केवल आर्थिक कारणों से ही पाकिस्तान को मदद दी जाती है?असल में, पाकिस्तान को मिलने वाले कर्ज़ के पीछे केवल आर्थिक मजबूरियां नहीं, बल्कि बड़े राजनीतिक और भू-राजनीतिक हित भी छिपे होते हैं:
रणनीतिक स्थिति का महत्व
पाकिस्तान एक बेहद संवेदनशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके में स्थित है, एक ओर अफगानिस्तान, दूसरी ओर चीन और भारत की सीमाएं. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश इसे एक “बैलेंसिंग पॉइंट” के रूप में देखते हैं जो इस्लामिक कट्टरपंथ, आतंकवाद और चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में उपयोगी हो सकता है.
आंतरिक अस्थिरता से खतरा
वैश्विक संस्थाओं को डर है कि अगर पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई, तो इससे देश में सामाजिक अशांति, आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता फैल सकती है. यह पूरे क्षेत्र के लिए खतरा बन सकता है, इसलिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को “चलते रहने लायक” बनाए रखने के लिए मदद दी जाती है.
वैश्विक बैंकिंग तंत्र की सुरक्षा
पाकिस्तान के डिफॉल्ट करने से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली पर भी असर पड़ सकता है, खासकर जब उसके कुछ वित्तीय लेन-देन अन्य देशों से जुड़े होते हैं. इसे रोकने के लिए समय-समय पर आर्थिक पैकेज दिए जाते हैं.
जनता तक नहीं पहुंचता लाभ
चौंकाने वाली बात यह है कि इन अरबों डॉलर की सहायता का फायदा आम नागरिकों तक नहीं पहुंच पाता. अक्सर यह धन पुराना कर्ज चुकाने, सैन्य खर्चों और प्रशासनिक व्यवस्थाओं में ही खत्म हो जाता है. ऊपर से भ्रष्टाचार, गलत नीतियां और अपारदर्शिता पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और कमजोर बना रही हैं.
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समस्या का समाधान क्या है?
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को स्थायी समाधान के लिए आंतरिक सुधार करने होंगे, जैसे कि कर संग्रह बढ़ाना, सरकारी खर्चों में कटौती करना, और पारदर्शिता को बढ़ावा देना. जब तक ये सुधार नहीं होते, तब तक अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अपने राजनीतिक लाभ के लिए उसे कर्ज देती रहेंगी और पाकिस्तान इस चक्र से बाहर नहीं निकल पाएगा.