मुस्लिम बहुल होने के बाद भी कैसे सेक्युलर है अजरबैजान? जानें वजह
अजरबैजान की धर्मनिरपेक्ष छवि का भारतीयों में आक्रोश
अजरबैजान एक मुस्लिम बहुल देश होते हुए भी धर्मनिरपेक्ष कैसे बना, यह प्रश्न भारतीयों के बीच चर्चा का विषय बन गया है. हाल ही में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान का समर्थन करने पर अजरबैजान के खिलाफ भारतीयों में आक्रोश है. इस देश के इतिहास और शासन प्रणाली ने इसे धर्मनिरपेक्ष बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
Azerbaijan News: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की. इसके तुरंत बाद तुर्किए और अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का पक्ष लिया, जिससे भारतीय जनता में आक्रोश फैल गया है, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इन दोनों देशों के खिलाफ बहिष्कार की मांग उठने लगी है. बड़ी संख्या में भारतीयों ने अजरबैजान की ट्रैवल बुकिंग रद्द कर दी हैं और इन देशों के प्रति गुस्सा ज़ाहिर किया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अजरबैजान को लेकर सोशल मीडिया पर लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर मुस्लिम बहुल होते हुए भी यह देश धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कैसे बना रहा. इसके पीछे का इतिहास और वर्तमान शासन प्रणाली काफी रोचक है.
मुस्लिम बहुल के साथ धर्मनिरपेक्ष देश
अजरबैजान की आबादी का लगभग 96% से 99% हिस्सा मुस्लिम है. इनमें शिया मुसलमानों की संख्या 55% से 65% के बीच है, जबकि बाकी सुन्नी मुसलमान हैं. इसके अलावा यहां ईसाई, यहूदी और हिंदू भी निवास करते हैं, जिन्हें भी समान अधिकार दिए जाते हैं.
पहला मुस्लिम सेक्युलर देश
1918 में अजरबैजान को दुनिया का पहला मुस्लिम बहुल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने का गौरव प्राप्त हुआ था. अजरबैजान के संविधान के अनुसार, देश में किसी भी धर्म को राज्य धर्म नहीं माना गया है. सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने की पूरी स्वतंत्रता प्राप्त है.
वहीं इस देश में महिलाओं पर किसी भी तरह के कठोर धार्मिक प्रतिबंध नहीं लागू किए गए हैं. स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है, जिससे सार्वजनिक संस्थानों में धर्मनिरपेक्षता बनी रहती है.
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सार्वजनिक धार्मिक गतिविधियों पर निगरानी
सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी धार्मिक गतिविधि के संचालन पर सख्त नियंत्रण रखा है. धार्मिक संस्थाओं पर भी सरकार की सीधी निगरानी है, जिससे कोई भी धार्मिक समूह समाज के खिलाफ काम न कर सके. इसके लिए सरकार ने कुछ सेंसरशिप नियम भी लागू किए हैं, जिससे धार्मिक असमानता को रोका जा सके.