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‘हाउडी’ दि ग्रेटेस्ट मोदी

ताकत की परिभाषा क्या है? अगर कोई शरीर से ही शक्तिशाली होता तो बड़ी-बड़ी हस्तियों के उदाहरण दिए जा सकते थे लेकिन एक देश की ताकत उसके स्टेट्समैन में होती है।

05:10 AM Sep 29, 2019 IST | Aditya Chopra

ताकत की परिभाषा क्या है? अगर कोई शरीर से ही शक्तिशाली होता तो बड़ी-बड़ी हस्तियों के उदाहरण दिए जा सकते थे लेकिन एक देश की ताकत उसके स्टेट्समैन में होती है।

‘हाउडी’ दि ग्रेटेस्ट मोदी
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ताकत की परिभाषा क्या है? अगर कोई शरीर से ही शक्तिशाली होता तो बड़ी-बड़ी हस्तियों के उदाहरण दिए जा सकते थे लेकिन एक देश की ताकत उसके स्टेट्समैन में होती है। अपने देश को प्रतिनिधित्व देने वाला प्रधानमंत्री जब अपने देश की संस्कृति और अपनी आवाज देश के लिए बुलंद करते हुए सारी दुनिया के भले की सोचता है तो वह नरेंद्र मोदी कहलाता है। यही वजह है कि दुनिया के नक्शे पर पीएम मोदी आज भारत की शक्ति का परचम लहरा रहे हैं और लोकप्रियता के मामले में भी पूरी दुनिया उन्हें स्वीकार कर रही है।
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पिछले दिनों अमरीकी राज्य टैक्सास के ह्यूस्टन शहर में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में भारत- अमरीकी संबंधों की एक नई मजबूती की इबारत लिख दी। दुनिया के सर्वशक्तिमान राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी श्री मोदी के साथ सामूहिक रूप से मंच पर अपनी बातें शेयर कीं। हालांकि इस कार्यक्रम को लेकर भारत में विपक्ष ने कई तीखी टिप्पणियां भी की लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में विपक्ष को अपनी बात कहने की आजादी है। यही भारत की ताकत में छिपी विपक्ष को दिये गये अधिकार की विशेषता है।
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आपको बता दें कि अमरीकी इतिहास में हर कोई  जानता है कि ह्यूस्टन शहर में हाउडी कार्यक्रम में किसी दूसरे देश के शासक को बुलाया जाता है लेकिन मोदी के इस कार्यक्रम में भारतीय मूल के पचास हजार से ज्यादा अमरीकी नागरिकों का सैलाब उमड़ पड़ा क्योंकि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप अब चुनावी सागर में उतरने जा रहे हैं तो मौका और दस्तूर दोनों ही उनके सामने थे लिहाजा ‘मोदी है तो मुमकिन’ है इस थीम को पढ़ते हुए ट्रंप ने उनके साथ मंच साझा करके भारतीय मूल के लोगों का विश्वास काफी हद तक जीतने में सफलता प्राप्त कर ली। इस बार न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा हो या अन्य मंच या जलवायु सम्मेलन मोदी हर तरफ छा गये। हमेशा की तरह भारत से बाहर मोदी-मोदी के नारे लगे।
आज की तारीख में जब इस समय भारत की और जम्मू-कश्मीर में 370 खत्म करने की चर्चा सबसे ज्यादा हो तो पाकिस्तान और चीन का जिक्र न हो यह संभव ही नहीं है। भारत की बढ़ती ताकत से जहां ये दोनों दुश्मन देश बौखलाए हुए हैं तो ऐसे में अमेरिका में मोदी का आना ही इन दोनों के गाल पर एक करारा तमाचा था। ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि अमेरिका का सबसे समर्पित वफादार और महान दोस्त अगर कोई है तो वह मोदी ही है। जवाब में मोदी ने भी कह दिया कि वह पूरे अमेरिका के दोस्त हैं और अमेरिका हमारा दोस्त है। बातों ही बातों में हर कार्यक्रम में उन्होंने अमरीकी कंपनियों को भारत में निवेश करने का ऑफर भी दिया।
भारत ने अमरीकी उत्पादों पर जो टैरिफ दरें बढ़ाई थीं उसे लेकर ट्रंप ने जिक्र भी किया लेकिन मोदी हर तरफ छा गये। हम फिर से पाकिस्तान की बात करते हैं जिसने कश्मीर को लेकर दुनिया में तूफान खड़ा करने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को हर तरफ मुंह की खानी पड़ी। कश्मीर तो क्या पीओके भी हमारा है यह संदेश भी पाकिस्तान को दे दिया गया और पाकिस्तान ने जहां-जहां भी कश्मीर का जिक्र किया रूस, फ्रांस, ब्रिटेन हर किसी ने इसे द्विपक्षीय करार दिया। इमरान खान हमेशा की तरह इस बार भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में बेनकाब हो गए। भारत की घेरेबंदी की कल्पना और योजना दोनों उसके खुद के गले में पड़ कर रह गयी।
उसके अपने देश के नेता और विद्वान लोग इमरान को कोस रहे हैं। बड़ी बात यह रही कि ट्रंप ने मोदी से सबको साथ लेकर चलने और सबको अपने साथ जोेड़ने की बात की। गंभीरता को समझते हुए उन्हें फादर ऑफ नेशन कह दिया। इसे लेकर कोई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जोड़कर अगर बोलने की कोशिश करेगा भी तो भारत में उसकी कोई कीमत नहीं क्योंकि खुद मोदी जी महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानते हैं अन्य देश भी उनका सम्मान करते हैं। इसलिए खुद मोदी ने इस बारे में कोई कमेंट नहीं किया और भारत के परचम को ऊंचा लहराने के साथ-साथ कश्मीर मुद्दे पर अपने मिशन में भारत को सफलता दिलाई।
ट्रंप ने हालांकि कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कहकर यह राग फिर छेड़ दिया लेकिन साथ ही उन्होंने कूटनीतिक तरीके से कह दिया कि मैं पाकिस्तान की मदद तो कर सकता हूं लेकिन यह तब संभव होगा अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहें। कुल मिलाकर अमरीकी दौरे से मोदी ने दुनिया को भारतीय ताकत से रूबरू करा दिया है कि उसे कम ना आंकना वरना भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पाकिस्तान और चीन यह बात पूर्व में अच्छी तरह से समझ चुके हैं।
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Aditya Chopra

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