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ऑनलाइन गेमिंग पर हंटर

04:35 AM Aug 22, 2025 IST | Aditya Chopra
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आदित्य नारायण चोपड़ा

ऑनलाइन गेमिंग आज के डिजिटल युग का एक प्रमुख हिस्सा बन चुका है। यह एक ऐसा मंच है जहां इंटरनेट के माध्यम से एक-दूसरे खिलाड़ी के साथ खेल सकते हैं। युवाओं और बच्चों के बीच ऑनलाइन गेमिंग की लत इस कद्र बढ़ चुकी है जिससे यह उनके जीवन का सिद्धांत बनता दिखाई दे रहा है। रियल गेम्स और ऑनलाइन गेमिंग के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। वास्तविक खेलों में शारीरिक व्यायाम को बढ़ावा दिया जाता है जबकि ऑनलाइन गेम्स में शारीरिक व्यायाम की कमी होती है। यह केवल मानसिक लक्ष्ण प्रदान करता है। ऑनलाइन गेमिंग की आदतें, मूल्यों के अध्ययन और प्रतिभा पर नकारात्मक प्रभाव तो डाल ही रही है, इसके अलावा डिप्रैशन, चिंता और सामाजिक समसामयिक जैसे मानसिक स्वास्थ्य संंबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। हर साल करीब 45 करोड़ लोग पैसे से जुड़ी ऑनलाइन गेमिंग में 20 हजार करोड़ रुपए गंवाते हैं। ऑनलाइन गेमिंग के कारण लोगों के बर्बाद होने और आत्महत्या करने की खबरें पूरे देश से आती रही हैं।
भारत में लगभग दो-तिहाई सबसे ज्यादा आबादी युवाओं की है और युवा पीढ़ी इतनी डिजिटल फ्रैंडली है कि शौक-शौक में खेलते हुए वह ऑनलाइन गेम के दलदल में कब फंस जाते हैं पता नहीं चलता। यहां तक कि 10-15 वर्ष की आयु तक के बच्चों को भो इसका नशा हो चुका है। रातोंरात मालामाल होने चक्र में यह फंस जाते हैं जिससे निकलना आसान नहीं होता। 2016 में जहां फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलने वालों की संख्या 20 लाख थी। 2027 तक यह संख्या बढ़कर 50 करोड़ होने की भविष्यवाणी की जाती रही है। कई बैटिंग एप्स हैं जिन पर लोग लाखों करोड़ रुपए लुटा रहे हैं। इन बैटिंग एप्स और गेमिंग एप्स के विज्ञापनों से अंआधुंध कमाई करने के लिए फिल्म स्टार और क्रिकेट के दिग्गज युवाओं को जुए के दलदल में धकेल रहे हैं। मनी गेमिंग प्रवृत्ति समाज के लिए गम्भीर खतरा बन चुकी है। इसलिए राजस्व की हा​िन की चिंता किए बिना सरकार ने लोगों के हित को प्राथमिकता देते हुए प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल पारित कर ​िदया है। विधेयक के कानून बनने पर पैसे से जुड़ी सभी ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लग जाएगा। लोग गूगल प्ले स्टोर से ऑनलाइन गेमिंग एप्स को डाउनलोड नहीं कर पाएंगे। विधेयक में गेम खेलने वालों को नहीं बल्कि उनको खिलवाने वालों को सजा होगी।
पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेम खेलने वालों को सजा नहीं होगी। जो लोग इस प्रकार का गेमिंग एप संचालित करेंगे, उनके लिए एक करोड़ तक का जुर्माना और तीन साल की कैद का प्रविधान किया गया है।इस प्रकार के गेमिंग एप का विज्ञापन करने वाले स्टार को दो साल की सजा और 50 लाख रुपये का जुर्माना होगा। मनी गेमिंग के विज्ञापनों पर प्रतिबंध और बैंकों व वित्तीय संस्थानों के लिए धन हस्तांतरित करने से रोकने का नियम बनाया गया है। पैसे से जुड़े गेम में वित्तीय लेन-देन की सुविधा देने वालों को एक करोड़ के जुर्माने के साथ तीन साल की कैद का प्रावधान किया गया है। बार-बार अपराध करने पर तीन से पांच साल की कैद और दो करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। प्रमुख धाराओं के अंतर्गत अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाया गया है।
केन्द्र सरकार ने वर्ष 2023 में पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेम्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया था। अब ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध के चलते सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुक्सान होगा लेकिन सरकार ने राजस्व की ​िचंता किए ​बिना लोगों को बर्बादी से बचाने के लिए सराहनीय पहल की है। देश में ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार वर्तमान में 3.8 अरब डॉलर का है। अब इस कारोबार का नुक्सान होगा और नौकरियां भी जाएंगी। क्योंकि एक तरह से खेल जुआ और सट्टेबाजी है, इसलिए इसे रोकना भी जरूरी था। सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि रियल मनी ऑनलाइन गेमिंग धन शोधन, धोखाधड़ी करने वाले वित्तीय लेन-देन और साइबर अपराध जैसी गति​ि​वधियों को बढ़ावा देती है। यही कारण है कि इस तरह के मंचों पर कड़ी निगरानी परनियमन की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी। वर्ष 2021 में कर्नाटक समेत कुछ अन्य राज्यों ने ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
कर्नाटक जैसे राज्य में जहां बैंगलुरु जैसा आईटी हब हो उसने राज्य के युवाओं के भविष्य को बचाने के​ लिए हिम्मत दिखाई थी। कर्नाटक से पहले तेलंगाना और आंध्र में भी प्रतिबंध लगाया जा चुका था। चीन, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों में भी ऐसे प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध से ऑनलाइन गेमिंग एप्स में निवेश करने वाली कम्पनियां अब नाम बदल-बदल कर सामने आ सकती हैं। आने वाले दिनों में प्रतिबंधित साइट्स को लाेग बदले हुए नामों से देख सकते हैं। हमारे बच्चे और युवा पीढ़ी भ्रमित न हो, इसके​ लिए उन्हें सही दिशा दिखाना जरूरी है। सरकरा का कहना है कि वह बिना पैसे के खेले जाने वाले ई-स्पोट्रर्स आैर सोशल गेमिंग को प्रोत्साहित करेगी। अभिभावकों को भी अपने बच्चों को सही दिशा दिखानी होगी। जब तक हम नैतिक रूप से ऑनलाइन गेमिंग से दूर रहने का संकल्प नहीं लेते तब तक प्रतिबंधों का असर नहीं होगा। नई पीढ़ी की रुचि खेलों के प्रति पैदा करनी होगी। वह अपना कीमती समय और धन बचा सकें। इसके लिए खुले मैदानों में खेले जाने वाले खेलों को गांवाें से लकेर महानगरों तक प्रमोट करना होगा। देशवासियों को आगे आकर बच्चों के भविष्य को संवारना होगा।

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