I-League 2024-25 विवाद: CAS ने इंटर काशी के पक्ष में सुनाया फैसला
CAS के फैसले से इंटर काशी को मिली राहत
इंटर काशी एफसी ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में अपनी पहली अपील में सफलता हासिल की है। हालांकि, इस फैसले के बावजूद, उन्हें अभी तक I-League 2024-25 का खिताब नहीं मिला है। यह विवाद जनवरी में हुए I-League मैच से जुड़ा है, जिसमें इंटर काशी और नमधारी एफसी के बीच मुकाबला हुआ था। नमधारी ने आरोप लगाया था कि काशी ने एक ‘अयोग्य खिलाड़ी’ को मैदान में उतारा था, और AIFF की अपील समिति ने नमधारी के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद, इंटर काशी 39 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि चर्चिल ब्रदर्स को 40 अंकों के साथ चैंपियन घोषित किया गया।इंटर काशी ने 24 अप्रैल को स्विट्जरलैंड स्थित CAS में अपील दायर की थी, और मंगलवार को CAS ने क्लब के पक्ष में फैसला सुनाया। CAS के फैसले के अनुसार, AIFF की अपील समिति का 18 अप्रैल का निर्णय रद्द कर दिया गया है, और AIFF की अनुशासन समिति का 24 फरवरी का निर्णय बरकरार रखा गया है। इससे इंटर काशी को तीन अंक और 3 गोल अंतर मिल गया है, जिससे उनकी स्थिति मजबूत हुई है।
हालांकि, इंटर काशी ने CAS में एक और अपील दायर की है, जिसका फैसला अभी लंबित है। यदि इस अपील में फैसला इंटर काशी के पक्ष में आता है, तो यह 2024-25 I-League चैंपियन का निर्धारण कर सकता है, हालांकि AIFF ने चर्चिल ब्रदर्स को ट्रॉफी सौंप दी है। CAS के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि यह मामला अभी पूरी तरह से हल नहीं हुआ है।AIFF ने चर्चिल ब्रदर्स को 27 अप्रैल को गोवा में आयोजित एक समारोह में ट्रॉफी सौंपी थी, हालांकि उसी दिन CAS ने AIFF को किसी भी पुरस्कार वितरण समारोह को आयोजित करने से रोकते हुए एक अंतरिम आदेश जारी किया था। AIFF ने दावा किया कि उन्हें CAS के आदेश के बारे में समारोह के बाद पता चला, क्योंकि सचिवालय उस दिन बंद था। इंटर काशी ने इस कदम को विवादास्पद बताते हुए कहा कि AIFF ने जानबूझकर CAS के आदेश की अनदेखी की।
इंटर काशी ने इस फैसले के बाद एक बयान जारी करते हुए कहा कि वे न्याय की अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और CAS में निष्पक्ष सुनवाई की उम्मीद करते हैं। क्लब ने यह भी कहा कि यदि CAS की अंतिम सुनवाई में उनका पक्ष मजबूत साबित होता है, तो वे I-League खिताब के असली हकदार होंगे।
इस विवाद ने भारतीय फुटबॉल में प्रशासनिक पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया की आवश्यकता को उजागर किया है। फुटबॉल प्रेमी अब यह देखेंगे कि CAS की अंतिम सुनवाई में किसका पक्ष मजबूत साबित होता है और भारतीय फुटबॉल की प्रतिष्ठा पर इसका क्या असर पड़ता है।