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Ajab-Gajab: अगर बेरोजगार हैं, तो ये देश पोता-पोती बनने पर दे रहा है पैसे!

09:31 PM Jul 01, 2025 IST | Amit Kumar
ajab gajab  अगर बेरोजगार हैं  तो ये देश पोता पोती बनने पर दे रहा है पैसे
Ajab-Gajab: अगर बेरोजगार हैं, तो ये देश पोता-पोती बनने पर दे रहा है पैसे!
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Ajab-Gajab: चीन में युवा बेरोजगारी की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इस बीच एक नए ट्रेंड की तेजी से चर्चा देखी जा रही है, जिसमें युवा अपने दादा-दादी या नाना-नानी के साथ रहकर उनकी देखभाल करते हैं. इसे ‘फुल-टाइम पोता-पोती’ बनने का नाम दिया गया है. इसका मतलब है कि जो युवा नौकरी नहीं पा रहे, वे अपने बुजुर्ग परिवार के साथ रहते हैं और उनकी सेवा करते हैं.

यह ट्रेंड न केवल युवाओं की बेरोजगारी का समाधान बन रहा है, बल्कि बुजुर्गों की अकेलेपन की समस्या भी कम कर रहा है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, ये युवा बुजुर्गों को भावनात्मक सहारा देते हैं और उनकी रोजमर्रा की ज़रूरतों का ख्याल रखते हैं. वे दवाइयों से लेकर अस्पताल के दौरे तक में मदद करते हैं और बुजुर्गों के लिए समय निकालते हैं.

बच्चों की तुलना में ज्यादा सेवा-भाव...

रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्सर बच्चे अपने माता-पिता की देखभाल तब करते हैं जब वे स्वस्थ होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, बच्चे अपनी ज़िंदगी के कामों में व्यस्त हो जाते हैं. इसलिए बुजुर्गों की देखभाल में पोते-पोतियों का योगदान ज्यादा होता है. वे ज्यादा धैर्य और सेवा की भावना दिखाते हैं.

चीन में युवाओं की बेरोजगारी बहुत गंभीर है. अप्रैल में 16 से 24 साल के युवाओं की बेरोजगारी दर करीब 15.8% थी. इस कारण जब युवा काम नहीं ढूंढ़ पाते, तो उनके दादा-दादी या नाना-नानी उन्हें अपने घर में रखते हैं और खर्चा उठाते हैं. बदले में वे अपनी सेवा देते हैं और बुजुर्गों के साथ रहते हैं.

नया जीवन, नई जिम्मेदारियां

पहले ये युवा घर में लाड़-प्यार के साथ बड़े होते थे, लेकिन अब वे बुजुर्गों की देखभाल में जुट जाते हैं. वे दवाइयों का ध्यान रखते हैं, अस्पताल जाते हैं और घर के काम संभालते हैं. साथ ही, वे बुजुर्गों को बाहर घुमाने-फिराने भी ले जाते हैं, ताकि उनका मन हल्का रहे और वे खुश रहें.

भावनात्मक सहारा ज्यादा जरूरी

बुजुर्गों को अपने काम खुद करना अच्छा लगता है, इसलिए युवा उनकी मदद भावनात्मक और मानसिक तौर पर करते हैं. वे बुजुर्गों का अकेलापन दूर करते हैं और उनके लिए साथी बन जाते हैं. एक युवक ने कहा कि नौकरी से ज्यादा उन्हें बुजुर्गों की देखभाल करना अच्छा लगता है क्योंकि यहाँ सच्चाई और प्यार मिलता है.

 चर्चा में ट्रेंड

यह ट्रेंड सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में है. कई लोग इसे अच्छा बताते हैं क्योंकि बुजुर्गों की देखभाल परिवार में रहकर करना सस्ता और बेहतर होता है. वहीं कुछ लोग सवाल करते हैं कि क्या हर परिवार के बुजुर्ग के पास इतनी पेंशन होती है कि वे पोते-पोतियों को पैसा दे सकें. कुछ के बुजुर्ग किसान हैं जिनकी पेंशन बहुत कम होती है.

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Amit Kumar

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अमित कुमार पिछले 3 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। राजनीति, विदेश, क्राइम के अलावा वायरल खबरें लिखने में माहिर हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ मास कम्यूनिकेशन व भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) से पोस्ट ग्रेजुएट का डिप्लोमा और उत्तर प्रदेश राजश्री टंडन विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई की। इसके बाद वेबसाइट पर लिखने के साथ पत्रकारिता की शुरुआत की और बाद में इंडिया डेली न्यूज चैनल में बत्तौर हिन्दी सब-एडिटर के रूप में वेबसाइट पर काम किया। फिर इसके बाद न्यूज़ इंडिया 24x7 में हिंदी सब-एडिटर की पद पर काम किया। वर्तमान में पंजाब केसरी दिल्ली में हिन्दी सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं।

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