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विदेशी मशीन से नहीं बनी बात तो रैट होल माइनिंग की आई याद, 17 दिन बाद मिलेगी सफलता या लगेगा और वक्त? 

04:39 PM Nov 28, 2023 IST | Prateek Mishra
विदेशी मशीन से नहीं बनी बात तो रैट होल माइनिंग की आई याद  17 दिन बाद मिलेगी सफलता या लगेगा और वक्त  

12 नवंबर 2023, दीपावली के दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी में घटी एक अप्रत्याशित घटना देशभर में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। दरअसल, 12 नवंबर की सुबह सिलक्यारा से बड़कोट के बीच बन रही निर्माणाधीन सुरंग में धंसाव हो गया। जिसके कारण 41 श्रमिक उसी में फंस गए। घटना की जानकारी मिलते ही केंद्र व राज्य सरकार हरकत में आई और बचाव कार्य प्रारंभ कर दिया। श्रमिकों को सुरक्षित निकालना सरकार की सबसे चुनौती थी। अपनी ओर से सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। विदेशी मशीन से लेकर हर संभव चीज को ग्राउंड जीरो पर उतार दिया गया। 17 दिनों के बाद प्रशासन ने बताया कि किसी भी समय सभी श्रमिक बाहर आ सकते हैं।

क्या है रैट होल माइनिंग? 

अमेरिकी ऑगर मशीन से सभी को बहुत उम्मीद थी। माना जा रहा था ऑगर मशीन मलबे में ड्रिलिंग का काम जल्द पूरा कर लेगी लेकिन इसने हाथ खड़ा कर दिया। बता दें कि मशीन का ब्लेड टूट गया और मलबे को भेद पाने में यह नाकाम रही। जिसके बाद रैट होल माइनिंग (Rat Hole Mining) पर विचार किया गया। रैट होल माइनिंग एक खास तरह की तकनीक है जो गैरकानूनी भी है। यह तकनीक मेघालय में प्रचलित थी जिसमें कुछ माइनर्स कोयला निकालने के लिए संकरे बिलों में उतरते थे। उत्तरकाशी में सभी मशीनों से खुदाई होने के बाद हॉरिजॉन्टल खुदाई करने का निर्णय किया गया। रैट होल माइनर्स संकीर्ण सुरंग बनाने में एक्सपर्ट होते हैं। रैट होल माइनर्स हॉरिजॉन्टल सुरंगों में कई फीट तक आसानी से नीचे चले जाते हैं और मैनुअली सामान को बाहर निकालते हैं।

मेडिकल टीम तैनात

मिली जानकारी के मुताबिक, सभी श्रमिक किसी भी समय बाहर आ सकते हैं। सुरंग के पास बेड लगाए गए हैं, मेडिकल टीम को तैनात किया गया है। बताया जा रहा है उन्हें सीधे अस्पताल ले जाया जाएगा। वहीं सूत्रों का कहना है सभी श्रमिक सुरक्षित हैं और उनके परिजनों को भी बुलाया गया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था  कि टनल में फंसे सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालना सर्वोच्च प्राथमिकता है।

 

 

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Prateek Mishra

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