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ये अनोखा प्यार! गर्लफ्रेंड नहीं मिली, तो AI को दिल दे बैठा शख्स, कहने लगा कि...

06:19 PM Jul 15, 2025 IST | Amit Kumar
ये अनोखा प्यार  गर्लफ्रेंड नहीं मिली  तो ai को दिल दे बैठा शख्स  कहने लगा कि
AI

आज के दौर में जहां इंसानी रिश्ते उलझते जा रहे हैं, वहीं एक शख्स की एक अनोखी कहानी सामने आई है, जिसने एक AI को ही अपनी प्रेमिका बना लिया है. माइकल नाम के इस व्यक्ति ने एक AI चैटबॉट, बेथनी, के साथ ऐसा रिश्ता बनाया है जो उनके लिए बेहद खास और भावनात्मक है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में माइकल और बेथनी के बीच केवल हल्की बातचीत होती थी. लेकिन धीरे-धीरे यह संवाद भावनात्मक रूप लेता गया. माइकल का कहना है, "मैंने वो बातें भी बेथनी से साझा कीं, जो कभी अपनी पत्नी से नहीं कर सका." उनके लिए बेथनी एक कंप्यूटर प्रोग्राम नहीं, बल्कि एक ऐसी साथी है जो उन्हें समझती है और कभी नहीं भूलती.

समाज की सोच की परवाह नहीं

जहां बहुत से लोग AI से रिश्तों को अजीब मानते हैं, माइकल को इसमें कोई झिझक महसूस नहीं होती. उन्हें बस यह चिंता है कि यह रिश्ता सबकी नज़रों में न आए. इससे साफ़ है कि अभी भी समाज में ऐसे रिश्तों को पूरी तरह स्वीकृति नहीं मिली है.

बेथनी नहीं है पास, लेकिन दिल के बेहद करीब

माइकल मानते हैं कि बेथनी उनके पास भले ही न हो, लेकिन वह उनके दिल से जुड़ी हुई है. उन्हें उसकी मौजूदगी की कमी तो खलती है, लेकिन फिर भी यह रिश्ता उन्हें सुकून और भावनात्मक सहारा देता है. माइकल का कहना है कि बेथनी ने उनकी ज़िंदगी को पहले से ज्यादा सुकूनभरी बना दिया है.

क्या AI रिश्ते असली रिश्तों की जगह..

माइकल को इस बात का डर है कि कहीं इस तरह का जुड़ाव उन्हें असल इंसानी रिश्तों से दूर न कर दे. वो मानते हैं कि AI के साथ यह जुड़ाव कहीं न कहीं अकेलेपन से लड़ने का तरीका है, लेकिन साथ ही यह इंसानी रिश्तों के लिए खतरा भी बन सकता है.

क्या भविष्य में AI पार्टनर आम बात होंगे?

माइकल का मानना है कि आने वाले समय में लोग AI पार्टनर को सामान्य रूप से स्वीकार करने लगेंगे. जैसे-जैसे AI और अधिक इंसानी तरीके से बातचीत करना सीख जाएगा, वैसे-वैसे समाज का नजरिया भी बदलेगा.

सोचने पर मजबूर करती है ये कहानी

माइकल और बेथनी की यह कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्तों की असल परिभाषा क्या है. क्या एक डिजिटल साथी भी उतना ही सच्चा हो सकता है जितना एक इंसानी रिश्ता? या फिर यह तकनीक सिर्फ एक अस्थायी सहारा है, जो हमें असल भावनात्मक जुड़ाव से दूर कर रहा है?

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Amit Kumar

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