IFTPC का बड़ा फैसला, फिल्म का नेगेटिव Review डालने पर अब होगा लीगल एक्शन?
IFTPC: भारत में फिल्मों का क्रेज किसी से छुपा नहीं है। हर हफ्ते ओटीटी और सिनेमाघरों में नई फिल्में रिलीज होती हैं और दर्शक यह तय करने के लिए, कि कौन सी फिल्म अच्छी है और कौन सी नहीं इसके लिए सोशल मीडिया पर आने वाले रिव्यु और रिएक्शन बेसब्री से इंतज़ार करते है। लेकिन अब इस रिव्यू कल्चर पर बड़ा सवाल उठ खड़ा रहा है। आरोप है कि कुछ इन्फ्लुएंसर्स और क्रिटिक्स फिल्मों के अच्छे रिव्यू देने के बदले प्रोड्यूसर्स से पैसों की मांग करते हैं, जिसके चलते अब इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स काउंसिल यानी IFTPC ने बड़ा फैसला लिया है।
IFTPC का स्टेटमेंट
इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स काउंसिल (IFTPC), जो देशभर के 375 से ज्यादा टीवी और फिल्म प्रोड्यूसर्स को रिप्रेजेंट करती है। बता दें, 1 सितंबर को एक प्रेस रिलीज जारी कर इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई गई है। प्रेस रिलीज में कहा गया कि बीते कुछ समय से सोशल मीडिया पर एक ऐसा ट्रेंड देखने को मिल रहा है, जिसमें कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स जानबूझकर प्रोजेक्ट्स पर नेगेटिव रिव्यू और रिएक्शन वीडियो बनाने की धमकी देकर प्रोड्यूसर्स से पैसे की डिमांड करते हैं।
काउंसिल ने साफ लिखा कि अगर इन इन्फ्लुएंसर्स को पैसे नहीं दिए जाते तो वो फिल्म या वेब सीरीज के खिलाफ नेगिटिव कैम्पेन शुरू कर देते है। इससे न सिर्फ उस प्रोजेक्ट की पब्लिक रिसेप्शन पर असर पड़ता है, बल्कि बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी असर देखने को मिलता है।
क्रिएटिव को किया जाएगा एक्सेप्ट
IFTPC ने साफ किया कि काउंसिल सही और ईमानदार क्रिटिसिज्म के खिलाफ नहीं है। क्रिएटिव क्रिटिसिज्म को हमेशा एक्सेप्ट किया गया है। लेकिन पैसे लेकर रिव्यू बदलने या धमकी देकर प्रोड्यूसर्स को ब्लैकमेल करने जैसी हरकतें अब क्रिटिसिज्म की डेफिनेशन से बाहर निकल चुकी हैं। काउंसिल ने कहा कि यह ट्रेंड इंडियन फिल्म और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की क्रिएटिविटी और इकॉनमी दोनों के लिए खतरा है।
मोहित सूरी ने क्या कहा
इस मसले पर फिल्म डायरेक्टर मोहित सूरी भी पहले अपनी राय रख चुके हैं। उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि उनसे कई बार फोन पर कांटेक्ट किया गया और पॉजिटिव रिव्यू के लिए पैसों की डील ऑफर की गई। डायरेक्टर ने बताया, “कहा गया कि अगर हमारी शर्तें नहीं मानी गईं तो फिल्म पर खराब रिव्यू लिखा जाएगा।” हालांकि, सूरी ने साफ इनकार करते हुए जवाब दिया, “लिख दो। मुझे वैसे भी पढ़ना नहीं है। मेरा काम फिल्म बनाना है और दर्शकों का काम है उसे देखना या न देखना।” उनका ये स्टेटमेंट इस बात की ओर इशारा है ये प्रॉब्लम फिल्म इंडस्ट्री की के लिए कितनी बड़ी है।
कानूनी कदम उठाने की तैयारी
IFTPC ने आगे बढ़ते हुए यह फैसला लिया है कि वह इस मसले पर देश के जाने-माने वकीलों से सलाह लेगी। काउंसिल यह जानना चाहती है कि इस तरह की जबरन वसूली रोकने के लिए कानून में कौन-कौन से सिविल और क्रिमिनल ऑप्शंस मौजूद हैं। यानी आने वाले समय में इस मुद्दे को लेकर कानूनी कार्रवाई की भी की जा सकती है।
बता दें, IFTPC से कई बड़े फिल्ममेकर और प्रोडक्शन हाउस जुड़े हुए हैं। इसमें आमिर खान, अजय देवगन, आशुतोष गोवारिकर, अब्बास-मस्तान, एकता कपूर, संजय लीला भंसाली, मधुर भंडारकर, अक्षय कुमार, सलमान खान, संजय दत्त, डिज़्नी, EROS, नाडियाडवाला ग्रैंडसंस जैसे नाम शामिल हैं। इतने बड़े नामों के साथ अगर इस मुद्दे को लेकर सख्त कानूनी कदम उठाया जाता है तो ये तय है कि इस पूरे समस्या को जल्द ही हल किया जा सकेगा।
दर्शकों का भरोसा दांव पर
लम्बे समय से फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ें लोगों का कहना है कि यह मुद्दा सिर्फ प्रोड्यूसर्स तक सीमित नहीं है। असल में इसका सीधा असर दर्शकों पर भी पड़ता है। सोशल मीडिया पर दर्शक अक्सर यह तय करते हैं कि फिल्म देखनी है या नहीं और अगर रिव्यू पैसे के लिए बदल दिए जाते हैं तो यह दर्शकों को गुमराह करने जैसा है। यही वजह यही कि इस मामले पर कोई कड़ा कदम उठाना बेहद जरूरी हो गई है।
लीगल एक्शन से बदलेगा ट्रेंड
अब देखना यह होगा कि IFTPC का ये एक्शन कितनी दूर तक असर दिखा पता है। क्या वाकई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर लगाम लग पाएगी या फिर यह विवाद और बढ़ता नज़र आएगा? फिलहाल इतना तय है कि फिल्म इंडस्ट्री अब इस मुद्दे को हल्के में नहीं ले रही है। क्योंकि कंटेंट बनाने वालों के लिए रिव्यूज और वर्ड ऑफ माउथ जितने इम्पोर्टेन्ट हैं, उतने ही खतरनाक भी।
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