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बच्चों के हितों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं

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01:15 PM Apr 21, 2018 IST | Desk Team

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नई टिहरी : बाल संरक्षण आयोग उत्तराखण्ड के अध्यक्ष योगेन्द्र खण्डूरी ने कहा कि बाल अधिकारों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ ही उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरुप सभी सम्बन्धित अधिकारी सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ सभी बच्चों को मिले इसके लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चों के हितों की अनदेखी करने की दशा में आयोग बाल संरक्षण अधिनियम की धारा 13 व 14 के अन्तर्गत आयोग सम्बन्धित के प्रति सीधी कार्यवाही अमल में लायी जायेगी है। जिला कार्यालय सभागार में समीक्षा बैठक के दौरान खण्डूरी ने जनपद में प्राथमिक शिक्षा में सुधार लाने हेतु दूरस्थ क्षेत्रों में अधिकारियों के माध्यम से बच्चों के पठन-पाठन तथा अन्य सुविधाओं की निरंतर समीक्षा करने हेतु जिलाधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि इस प्रकार अधिकारियों द्वारा आकस्मिक निरीक्षण करने से अध्यापक अपने विद्यालयों में उपस्थित रहेंगे।

उन्होंने कहा कि आयोग की जानकारी के अनुसार दूरस्थ क्षेत्रों में अध्यापक स्कूलों में या तो रहते नही हैं या किसी बेरोजगार युवा के माध्यम से पठन-पाठन का कार्य करवाते है जो कि शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग के लिए व्यावहारिक रुप से उचित नहीं है। उन्होंने एनसीईआरटी के सर्वेक्षण के उपरान्त जिले में छात्रों के अच्छे प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त करते हुए और अधिक सुधार लाने की आवश्यकता बताई। बैठक में जिलाधिकारी सोनिका ने कहा कि आयोग के द्वारा जो दिशा निर्देश दिये गये है उन पर वे अपने स्तर से कार्यवाही कर आयोग को भी अवगत करायेगी, उनका प्रयास रहेगा कि जनपद के शिक्षण संस्थाओं में मानकों के अनुसार अध्यापकों की तैनाती हो और स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के साथ ही पठन-पाठन कार्यो में सुधार लाने का प्रयास किया जायेगा।

इस अवसर पर आरती ढौंडियाल, शिवचरण द्विवेदी, प्रभा रतूड़ी, लखपति पौखरियाल, हीरा सिंह रौथाण, ज्योति शंकर मिश्रा, विक्रम सिंह, सुशील बहुगुणा सहित विभिन्न थानों के प्रभारी एवं विकासखण्ड स्तर पर तैनात बाल परियोजना आधिकारी आदि मौजूद थे। नीति आयोग के सर्वेक्षण के अनुसार पूरे देश के 117 जनपद में कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा पायी गई है जिसमें उत्तराखण्ड के चार जनपद हरिद्वार, उधमसिंहनगर, उत्तरकाशी व चमोली शामिल है। वहीं 2016 की रिपोर्ट के अनुसार 0 से 5 वर्ष के बच्चों की मृत्यु दर में 8 प्रतिशत कमी आयी है। समीक्षा के दौरान बताया गया कि बालश्रम के अन्तर्गत 11 मामले पाये गये है।

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– प्रमोद चमोली

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