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अवैध बंगलादेशी और भारत

भारत में अवैध बंगलादेशियों की समस्या कोई नई नहीं है। यह समस्या 1971 में बंगलादेश…

04:01 AM May 30, 2025 IST | Aditya Chopra

भारत में अवैध बंगलादेशियों की समस्या कोई नई नहीं है। यह समस्या 1971 में बंगलादेश…

भारत में अवैध बंगलादेशियों की समस्या कोई नई नहीं है। यह समस्या 1971 में बंगलादेश बनने के बाद से ही चली आ रही है। इस समस्या की तरफ भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही सरकारों का ध्यान दिलाती रही है। खासकर दिल्ली के 60-70 के दशक में मुख्य कार्यकारी पार्षद रहे प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा इस विषय को जोर-शोर से सड़क से लेकर संसद तक उठाते रहे हैं। श्री मल्होत्रा जब मनमोहन सरकार के पहले कार्यकाल में लोकसभा में अपनी पार्टी के उपनेता थे तो उहोंने इस मुद्दे को जमकर उठाया था। इसके बाद भारत में म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों की भी घुसपैठ हुई जिससे यह समस्या दोगुनी हो गई। इस समस्या की तरफ मोदी सरकार का वैसे तो ध्यान शुरू से ही है मगर पहलगाम कांड के बाद इस तरफ गृहमन्त्री श्री अमित शाह ने बहुत कठोर तेवर अपनाये हैं और राज्य सरकारों से कहा है कि वे अवैध रूप से रहने वाले लोगों की पहचान करके उन्हें भारत से भेजने के उपाय करें। इस सिलसिले में गृह मन्त्रालय ने राजधानी दिल्ली में अवैध लोगों की पहचान करके उन्हें वापस उनके देश भेजने का अभियान चलाया हुआ है। इस अभियान के तहत पिछले एक महीने के दौरान ही पांच सौ से अधिक बंगलादेशी ढाका भेज दिये गये हैं।

पिछले छह महीनों के दौरान कुल 770 बंगलादेशी स्वदेश रवाना करने में दिल्ली पुलिस सफल रही है। दिल्ली पुलिस ने इस बाबत जो सघन अभियान चला रखा है उसके सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। विगत 22 अप्रैल को जब कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 मासूम भारतीय नागरिकों का कत्ल उनका धर्म पूछ-पूछकर किया था तो उसके बाद से अब तक दिल्ली पुलिस ने 470 अवैध बंगलादेशियों की पहचान की है और 50 एेसे विदेशियों को पकड़ा है जो भारत में अपना निवास समय पूरा हो जाने के बाद भी रह रहे थे। पुलिस ने इन सभी को पहले गाजियाबाद के हिंडन हवाई पट्टी से विमान में बैठा कर त्रिपुरा की राजधानी अगरतला भेजा और वहां से भूमि मार्ग से उन्हें बंगलादेश भेज दिया। अगरतला एेसा शहर है जिसका एक सिरा बंगलादेश से मिलता है। दिल्ली पुलिस को विगत वर्ष में ही गृह मन्त्रालय ने निर्देश दे दिये थे कि वह अवैध विदेशियों के शिनाख्ती कागजात की गहराई से जांच-पड़ताल करने के लिए सघन अभियान चलाये। तभी से पुलिस इस काम में लगी हुई है मगर 22 अप्रैल के बाद इसमें बहुत तेजी आयी है। दिल्ली के साथ ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी अपने राज्य में इसी प्रकार का अभियान चलाये हुए है और अवैध बंगलादेशियों व रोहिंग्याओं की धकड़-पकड़ कर रही है। राज्य सरकार प्रदेश के विभिन्न शहरों में यह अभियान चला कर अभी तक सैकड़ों अवैध लोगों की पहचान कर चुकी है। मगर यह समस्या देशव्यापी है, क्योंकि अवैध बंगलादेशी पूरे देश के विभिन्न राज्यों में फैल चुके हैं। एेसी ही हालत रोहिंग्याओं की भी है। वे भी जम्मू-कश्मीर तक में फैले हुए हैं। पुलिस को इन अवैध लोगों की शिनाख्त करने में दिक्कतें भी कम नहीं आ रही हैं क्योंकि इनके पास आधार कार्ड से लेकर वोटर कार्ड तक पाये जाते हैं जिससे यह समस्या राजनैतिक रूप भी ले लेती है। गृह मन्त्रालय के पास एेसी सूचनाएं हैं कि भारत में कुछ एेसे गिरोह सक्रिय हैं जो इन अवैध लोगों को देश में लाते हैं और फिर उनके कागजात बनवाते हैं तथा उनके रोजगार की व्यवस्था तक करते हैं। इतना ही नहीं ये समूह इनके आवास तक की व्यवस्था करा देते हैं। गृह मन्त्रालय की नजर एेसे गिरोहों पर भी है। भारत के लोग भलीभांति जानते हैं कि असम राज्य में इन्हीं बंगलादेशियों को भारत की नागरिकता देने पर कितना जबर्दस्त आन्दोलन चला था और बाद में आन्दोलनकारियों के साथ तत्कालीन राजीव सरकार ने समझौता किया था। अतः अवैध बंगलादेशियों की समस्या के कई आयाम हैं। मगर जहां तक देश के शेष राज्यों का सवाल है तो ये अवैध लोग इन राज्यों में मेहनत-मजदूरी करने के नाम पर आम भारतीयों के बीच अपनी पहचान बंगाली कह कर छिपाये रहते हैं परन्तु इनकी आड़ में आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी भारतीय समाज में समा जाते हैं। अपराध करने में भी इन अवैध बंगलादेशियों व रोहिंग्याओं का नम्बर काफी ऊंचा पाया जाता है। एक प्रकार से देखा जाये तो ये लोग अपराध माफियाओं की मदद भी करते हैं।

गृह मन्त्रालय इन सभी बिन्दुओं पर गंभीर है और वह इस समस्या को जड़ से मिटाना चाहता है। बेशक भारत व बंगलादेश के बीच 19 मार्च, 1972 को एक 25 साला मैत्री सन्धि हुई थी जिसे इन्दिरा-मुजीब समझौता कहा जाता है। इस समझौते को बाद में 1997 में आगे बढ़ाया गया था मगर इसका मतलब यह नहीं है कि भारत में अवैध बंगलादेशी लगातार आते रहें। पूरी दुनिया जानती है कि बंगलादेश युद्ध के चलते भारत में एक करोड़ के लगभग शरणार्थी आ गये थे। समझौते के बाद इन्हें बंगलादेश ने वापस ले लिया। मगर इसके बावजूद बड़ी संख्या में अवैध लोग भारत में ही रह गये थे जिसे लेकर असम में आन्दोलन हुआ था। अब यह समस्या राष्ट्रव्यापी हो गई है क्योंकि भारत में चोरी-छिपे बंगलादेशियों के प्रवेश कराने का धंधा कुछ गिरोहों ने बनाया हुआ है। अतः इस पर सख्ती किये जाने की जरूरत है। ये लोग भारत के गरीबों का ही हक मारते हैं और राष्ट्रीय आय स्रोतों पर बोझ बढ़ाते हैं तथा अपराध माफियाओं की मदद करते हैं।

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