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Iltija Mufti on Dhurandhar : फिल्म ‘धुरंधर’ पर इल्तिजा मुफ्ती का बयान “बॉलीवुड फिल्मों की तरह इस बार महिलाओं को सिर्फ…”

08:38 PM Dec 12, 2025 IST | Sneha Rai
iltija mufti on dhurandhar   फिल्म ‘धुरंधर’ पर इल्तिजा मुफ्ती का बयान “बॉलीवुड फिल्मों की तरह इस बार महिलाओं को सिर्फ…”
Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media

Iltija Mufti on Dhurandhar : फिल्म ‘धुरंधर’ अपनी रिलीज़ के बाद से लगातार सुर्खियों में है। जहां एक तरफ फिल्म के एक्शन, कहानी और कलाकारों की परफॉर्मेंस की सराहना हो रही है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक और सामाजिक वर्गों से भी इसकी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इन्हीं प्रतिक्रियाओं में सबसे ज्यादा वायरल हुआ इल्तिजा मुफ्ती का बयान, जिसमें उन्होंने फिल्म में महिलाओं के चित्रण को लेकर सवाल उठाए। उनके मुताबिक, बॉलीवुड फिल्मों में महिलाओं को अक्सर केवल सजावट का हिस्सा बनाया जाता है, और ‘धुरंधर’ में भी कुछ हद तक वैसी ही छवि नजर आती है।

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“महिलाओं को सिर्फ देखने भर की चीज न बनाएं” इल्तिजा का बयान

Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media
Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media

इल्तिजा मुफ्ती ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि “फिल्म चाहे किसी भी विषय पर बनी हो, लेकिन महिलाएं सिर्फ ग्लैमर या बैकड्रॉप की चीज बनकर न रह जाएं। यह बॉलीवुड की पुरानी आदत रही है, और धुरंधर में भी कुछ सीन महिलाओं को इसी तरह दिखाते हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें फिल्म का ट्रीटमेंट और टेक्निकल क्वालिटी पसंद आई, लेकिन महिलाओं की भूमिका और उनकी गहराई को लेकर वे संतुष्ट नहीं दिखीं। उनका मानना है कि जिस तरह फिल्म पुरुष किरदारों को दमदार स्पेस देती है, उसी तरह महिलाओं को भी ठोस और प्रभावशाली भूमिकाएं दी जानी चाहिए।

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Dhurandhar Controversy : धुरंधर की कहानी और महिलाओं की मौजूदगी पर सवाल

Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media
Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media

फिल्म में महिलाओं की मौजूदगी सीमित होने की बात को कई समीक्षकों ने भी उठाया है। खासकर तब, जब फिल्म में बड़ी सामाजिक थीम्स और संवेदनशील मुद्दों की चर्चा की गई। इल्तिजा मुफ्ती के बयान ने फिर यह चर्चा छेड़ दी कि बड़े बजट की फिल्मों में महिला किरदार अक्सर या तो रोमैंस का हिस्सा बनती हैं या कहानी के भावनात्मक पक्ष को उठाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
उनका तर्क है कि आज के दौर में, जब महिलाएं हर क्षेत्र में लीड भूमिका निभा रही हैं, तो सिनेमा का भी दायित्व है कि वह उन्हें शक्तिशाली किरदारों के रूप में पेश करे।

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क्या धुरंधर की कहानी पुरुष-प्रधान है?

Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media
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धुरंधर एक एक्शन-ड्रामा फिल्म है, जो एक पुरुष किरदार के संघर्ष, मिशन और बदले की कहानी पर आधारित है। फिल्म का नैरेटिव काफी हद तक मुख्य हीरो पर केंद्रित है। यह कहानी का ढांचा ही महिलाओं की स्क्रीन-पहुंच कम कर देता है। हालांकि फिल्म में कुछ महिला किरदार हैं, लेकिन वे कहानी को आगे बढ़ाने की बजाय अधिकतर सहायक भूमिकाओं में दिखाई देती हैं। यहीं पर इल्तिजा मुफ्ती ने सवाल उठाया कि क्या बड़े पैमाने पर बन रही फिल्मों को इस पैटर्न से बाहर नहीं आना चाहिए?

सोशल मीडिया पर मिला मिश्रित प्रतिक्रिया

Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media
Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media

इल्तिजा मुफ्ती का बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। कई दर्शकों ने उनसे सहमति जताई कि फिल्मों में महिलाओं की गहराई को नजरअंदाज़ किया जाता है। लेकिन दूसरी तरफ कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि हर फिल्म की कहानी अलग होती है और हर कहानी में महिला किरदारों को मजबूती से लिखना जरूरी नहीं होता, खासकर जब कहानी पूरी तरह किसी विशेष मिशन या एक्शन पर आधारित हो। इन प्रतिक्रियाओं के चलते फिल्म और इल्तिजा दोनों ही चर्चा का हिस्सा बन गए हैं।

धुरंधर मेकर्स की तरफ से क्या आया जवाब?

 Iltija Mufti on Dhurandhar- Source : Social Media
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फिल्म की टीम ने अब तक इस बयान पर सीधा रिएक्शन नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक मेकर्स का मानना है कि कहानी की डिमांड के अनुसार किरदारों को लिखा गया है। कई बार फिल्मों में महिला किरदार कम स्क्रीन टाइम मिलने के बावजूद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और धुरंधर में भी कुछ ऐसा ही प्रयास किया गया है। इल्तिजा मुफ्ती के बयान ने एक बार फिर इस बहस को जन्म दे दिया है कि बॉलीवुड फिल्मों में महिलाओं की भूमिकाओं को लेकर क्या सुधार की जरूरत है।

Dhurandhar एक मज़बूत कहानी और बेहतरीन परफॉर्मेंस वाली फिल्म जरूर है, लेकिन यह भी सच है कि सामाजिक और राजनीतिक आवाजें यह उम्मीद करती हैं कि महिलाएं सिर्फ पर्दे की सजावट न बनें, बल्कि कहानी की धुरी भी हों। अब देखना यह होगा कि मेकर्स इस प्रतिक्रिया को किस तरह लेते हैं और क्या भविष्य में सिनेमा में महिलाओं की भूमिका को लेकर कोई बदलाव दिखाई देता है।

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