W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

जानिये क्या है तमिलनाडु की 920 ईस्वी पूर्व प्राचीन चुनाव प्रणाली, जिसकी पीएम मोदी भी कर चुके है तारीफ

देश में जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए तमिलनाडु में प्राचीन चुनाव प्रणाली को लागू करना एक बड़ा चुनावी सुधार होगा, जो मौजूदा व्यवस्था की खराबी को दूर कर देगा।

02:08 PM Mar 13, 2021 IST | Ujjwal Jain

देश में जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए तमिलनाडु में प्राचीन चुनाव प्रणाली को लागू करना एक बड़ा चुनावी सुधार होगा, जो मौजूदा व्यवस्था की खराबी को दूर कर देगा।

Advertisement
जानिये क्या है तमिलनाडु की 920 ईस्वी पूर्व प्राचीन चुनाव प्रणाली  जिसकी पीएम मोदी भी कर चुके है तारीफ
Advertisement
देश में जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए तमिलनाडु में प्राचीन चुनाव प्रणाली को लागू करना एक बड़ा चुनावी सुधार होगा, जो मौजूदा व्यवस्था की खराबी को दूर कर देगा। यह उथिरामेरुर की यात्रा करने वाले और शिलालेख देखने वाले लोगों का सामान्य दृष्टिकोण है। जनप्रतिनिधियों के निर्वाचन की वर्तमान प्रणाली विदेश से नहीं आई है, बल्कि चेन्नई से लगभग 90 किलोमीटर दूर कांचीपुरम जिले के उथिरामेरुर में एक मंदिर में शिलालेखों के अनुसार 920 ईस्वी पूर्व भी प्रचलित था।
Advertisement
पुरातत्वविद् जी थिरुमूर्ति ने बताया, प्राचीन काल में चुनावी प्रणाली उथिरामेरुर, मदुरै और अन्य क्षेत्रों में मंदिर के पत्थर के शिलालेखों में देखी जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में नए संसद भवन की आधारशिला रखते हुए उथिरामेरुर की ओर इशारा करते हुए कहा था, 10वीं शताब्दी में चोल साम्राज्य के दौरान प्रचलित पंचायत प्रणाली के बारे में तमिल भाषा में पत्थरों पर शिलालेख हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा था, नियम यह था कि जनप्रतिनिधि या उनके करीबी रिश्तेदार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, अगर वह अपनी संपत्ति का ब्योरा देने में विफल रहते हैं। उन दिनों, ग्राम सभा ने चुनाव नियमों का मसौदा तैयार किया और अंतिम रूप दिया था। सिंचाई टैंक, सड़क और अन्य विषयों की देखभाल के लिए समितिया/बोर्ड थे। नियमों के अनुसार, गांव को प्रत्येक वार्ड से चुने गए एक प्रतिनिधि के साथ 30 वाडरें में बांटा गया था। उम्मीदवारों के लिए निर्धारित योग्यता यह थी उनकी आयु 35 वर्ष से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
कृषि भूमि पर कर का भुगतान हो और उनके पास कानूनी रूप से अपनी जमीन पर घर हो। जो व्यक्ति पहले से ही एक समिति का सदस्य था। वह तीन साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य था। हत्या करने वाले, शराबी, ठग और विवाहित महिलाओं के साथ संबंध रखने वालों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं थी। एक निर्वाचित सदस्य के दोषी साबित होने पर वह खुद और उसके परिवार के सदस्य और रिश्तेदार सात पीढ़ियों तक चुनाव नहीं लड़ सकते थे। शिलालेखों के अनुसार, लोक सेवकों को कुदावलाई नामक प्रणाली के माध्यम से चुना गया था।
प्रणाली के अनुसार, मतदाताओं से एक ताड़ के पत्ते पर पसंदीदा उम्मीदवार का नाम लिखना होता था और इसे बड़े मिट्टी के बर्तन में डाल दिया जाता था। प्रत्येक ताड़ के पत्ते की गिनती के बाद विजेताओं की घोषणा की जाती थी। केवल बीमार और तीर्थयात्रियों को ही मतदान से छूट दी जाती थी।
Advertisement
Author Image

Ujjwal Jain

View all posts

Advertisement
Advertisement
×