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गैर-जरूरी वस्तुओं पर नहीं बढ़ेगा आयात शुल्क

रुपये को गिरावट को थामने के लिए पिछले दिनों दो सप्ताह के अंतराल में फ्रिज और एसी जैसे घरेलू सामानों और दूरसंचार उपकरणों पर आयात शुल्क बढ़ाया था।

11:29 AM Oct 15, 2018 IST | Desk Team

रुपये को गिरावट को थामने के लिए पिछले दिनों दो सप्ताह के अंतराल में फ्रिज और एसी जैसे घरेलू सामानों और दूरसंचार उपकरणों पर आयात शुल्क बढ़ाया था।

नई दिल्ली : आयातित उत्पादों पर अब आयात शुल्क और बढ़ाए जाने की फिलहाल संभावना नहीं दिखती और सरकार चालू खाते के घाटे पर रुपये की गिरावट के प्रभाव को कम करने के लिए शुल्क बढ़ाने के बजाय कुछ दूसरे कदम उठा सकती है। एक अधिकारी ने यह बात कही। सरकार ने रुपये को गिरावट को थामने के लिए पिछले दिनों दो सप्ताह के अंतराल में फ्रिज और एसी जैसे घरेलू सामानों और दूरसंचार उपकरणों पर आयात शुल्क बढ़ाया था। उस अधिकारी ने बताया कि गैर-जरूरी उत्पादों पर अभी और शुल्क बढ़ने की उम्मीद नहीं है।

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने बेस स्टेशन और आईपी रेडियो, वीओआईपी उपकरणों सहित चुनिंदा दूरसंचार एवं संचार उपकरणों पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया था। इससे पहले 26 सितंबर को फ्रिज और एसी जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया गया था। अधिकारी ने कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आयात शुल्क वृद्धि का सुझाव दिया था। हमने सिर्फ इन सुझावों का क्रियान्वयन किया है। वर्ष 2018 की शुरुआत से अब तक रुपया करीब 13 प्रतिशत गिर चुका है।

आयात शुल्क बढ़ने से पाम तेल होगा महंगा

11 अकटूबर को रुपया गिरकर 74.50 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निम्नतम स्तर को छू गया था। हालांकि, बाद में इसमें सुधार देखा गया और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से 12 अक्टूबर को रुपया सुधरकर 73.57 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ । एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हमें उम्मीद करते हैं कि रुपया अब वर्तमान स्तर से मजबूत ही होगा ऐसे में फिलहाल आयात पर और अंकुश लगाने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय हमें पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता को कम करने के तरीकों पर विचार करना चाहिए।

अधिकारी ने कहा कि रुपया, भुगतान में सुतंलन और चालू खाते का घाटा हमारी मुख्य चिंताएं हैं। परिस्थितियों से निपटने के लिए हमारे पास रणनीति है। हम इन मुद्दों पर उचित समय पर कदम उठाएंगे। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में चालू खाते का घाटा बढ़कर जीडीपी के 2.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है। बढ़ता व्यापार घाटा और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट चालू खाते के घाटे पर दबाव बना रहा है और इन कदमों से बाहरी क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

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