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मुस्लिम देशों को उकसाने में लगे इमरान, बोले - दिल्ली हिंसा के खिलाफ मुस्लिम जगत में बहुत कम आवाजें उठी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दिल्ली में हुई हिंसा की आड़ में अपनी भारत विरोधी भड़ास निकालने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। भारत पर निशाना साधने वालों की सराहना करते हुए, वह भारत विरोधी बयान नहीं देने वालों को उकसाने पर भी लगे हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया है कि ‘दिल्ली हिंसा के खिलाफ मुस्लिम जगत में बहुत कम आवाजें उठी हैं।’

06:43 PM Mar 06, 2020 IST | Shera Rajput

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दिल्ली में हुई हिंसा की आड़ में अपनी भारत विरोधी भड़ास निकालने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। भारत पर निशाना साधने वालों की सराहना करते हुए, वह भारत विरोधी बयान नहीं देने वालों को उकसाने पर भी लगे हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया है कि ‘दिल्ली हिंसा के खिलाफ मुस्लिम जगत में बहुत कम आवाजें उठी हैं।’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दिल्ली में हुई हिंसा की आड़ में अपनी भारत विरोधी भड़ास निकालने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। भारत पर निशाना साधने वालों की सराहना करते हुए, वह भारत विरोधी बयान नहीं देने वालों को उकसाने पर भी लगे हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया है कि ‘दिल्ली हिंसा के खिलाफ मुस्लिम जगत में बहुत कम आवाजें उठी हैं।’ 
इमरान ने ट्वीट कर दिल्ली हिंसा और भारत में ‘मुसलमानों व कश्मीर के लोगों के दमन व संहार’ का मुद्दा उठाने पर ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामनेई और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान की प्रशंसा की है। साथ ही उन्होंने ‘अफसोस’ जताया कि इस दिशा में मुस्लिम जगत से बहुत कम आवाजें उठी हैं। 
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘दुखद है कि मुस्लिम जगत से इसके खिलाफ बहुत कम आवाजें उठी हैं, कम निंदा हुई है। मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) के हिंदू वर्चस्ववादी शासन के खिलाफ अधिक आवाजें पश्चिमी जगत से उठ रही हैं।’
इमरान का ट्वीट खामनेई के इस ट्वीट के बाद आया जिसमें ईरानी धार्मिक नेता ने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह ‘मुसलमानों का संहार रोके और चरमपंथी हिंदुओं से निपटे।’ उन्होंने कहा कि ‘भारत में मुसलमानों के संहार से पूरी दुनिया के मुसलमानों का दिल दुख से भर गया है।’ 
इससे पहले ईरानी विदेश मंत्री ने भी इसी तरह का बयान दिया था जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी और कहा था कि उसे अपने देश के आंतरिक मामलों में दखल बर्दाश्त नहीं है और ईरानी विदेश मंत्री को चयनात्मक तरीके से तथ्यों को पेश नहीं करना चाहिए। 
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